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Monday, 10 February 2014

कंप्यूटर शिक्षकों का वेतन दिलाए सरकार

** 24 हजार रुपये देकर पाई थी नौकरी 
हरियाणा के राजकीय स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर अध्यापकों को छह माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से सभी कंप्यूटर अध्यापक और उनके परिवार के सदस्य आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। परेशान कंप्यूटर अध्यापकों ने कंप्यूटर अध्यापक संघ की ओर से चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने एक हफ्ते में उन्हें वेतन नहीं दिया गया तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। 
निजी कंपनी के जरिए हुई थी नियुक्ति 
कंप्यूटर अध्यापकों की नियुक्ति फतेहाबाद जिले में निजी कंपनी के माध्यम से किया गया था। इन नियुक्ति के एवज में कंपनी ने आवेदकों से 24 हजार रुपये प्रति आवेदक के हिसाब से वसूल किए थे। लेकिन अब नियुक्त किए गए अध्यापकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। कंप्यूटर अध्यापक संघ के प्रधान संदीप कुमार व संजीव अरोड़ा ने बताया कि छह माह का समय बीत चुका है लेकिन किसी भी कंप्यूटर अध्यापक को वेतन नहीं दिया गया है। महंगाई के युग में बिना वेतन जीवन बसर करना बहुत कठिन हो गया है। इस बारे में डीईओ आशा ग्रोवर से लेकर शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल तक शिकायत की जा चुकी है। इतना ही नहीं बीती 8 फरवरी को सभी जिलों से आए कंप्यूटर अध्यापकों ने रोहतक भी गए और मुख्यमंत्री से मिलना चाहते थे। मुख्यमंत्री तो उपलब्ध नहीं हुए लेकिन उनके निजी सचिव मिले और उन्होंने आश्वासन दिया कि एक हफ्ते तक वे सीएम से उनकी मुलाकात करवाकर समस्या का समाधान करवाएंगे। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उनका वेतन रोककर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। उनका परिवार वेतन न मिलने के कारण संकट के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से वेतन दिलाने की मांग की है। 
कंप्यूटर अध्यापक संघ ने मांग की है कि कंप्यूटर अध्यापकों को हरियाणा सरकार ही वेतन दिलवाए क्यों कि कंप्यूटर अध्यापक सरकारी स्कूलों में ही नियुक्त हैं। इसलिए सरकार की ही जिम्मेदारी बनती है कि वह कंप्यूटर अध्यापकों को समयानुसार वेतन दिलाए। इसके अलावा यह भी मांग की है कि पंजाब की तर्ज पर वेतनमान दिया जाए और नियुक्ति के समय जो सिक्योरिटी राशि जमा करवाई गई थी उसे भी वापस निजी कंपनी से दिलवाई जाए। 
निजी कंपनी की ओर से ही देय है वेतन : डीईओ 
डीईओ आशा ग्रोवर ने कहा कि कंप्यूटर अध्यापकों को निजी कंपनी की ओर से ही नियुक्ति पत्र दिए गए थे और कंपनी की ओर से ही वेतन दिये जाने का प्रावधान है। इसमें शिक्षा विभाग कुछ नहीं कर सकता।                                         dbftbd

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