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Tuesday, 29 April 2014

केवल असेसमेंट के सहारे अब नहीं हो सकेंगे पास

** सीबीएसई ने बदला नियम, प्रत्येक विषय में कम से कम 33 प्रतिशत अंक लेने अनिवार्य
शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों के विद्यार्थी अब केवल असेसमेंट के सहारे पास नहीं हो सकेंगे। सीबीएसई ने नए शिक्षा सत्र से नियम में बदलाव किया है। अब पाठ्यक्रमों की परीक्षा में भी कम से कम 33 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी होगा। बगैर इसके कोई विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा।
सूत्रों के अनुसार सीबीएसई से संबंधित स्कूलों में बोर्ड की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए सेमेस्टर के दौरान 10 नंबर की सबमिशन असेसमेंट की परीक्षा क्लास में होती है। इसमें कक्षा में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के आधार पर विद्यार्थी को अंक मिलते हैं। नए नियम के तहत सेमेस्टर की छमाही परीक्षा में प्रत्येक विद्यार्थी को कम से कम 33 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी है। इसमें यदि असेसमेंट के 10 नंबर भी जुड़ जाएं तो विद्यार्थी के अंक बढ़ेंगे ही। इससे पूर्व सीबीएसई की ओर से वर्ष 2009 में नियम बनाया गया था कि सेमेस्टर में पास होने के लिए असेसमेंट के अंक जोड़े जाएंगे। इस प्रकार विद्यार्थी पूरे सेमेस्टर के दौरान मौज-मस्ती करते और 25 प्रतिशत अंक हासिल करके भी पास हो जाते थे। लेकिन अब कम से कम 33 प्रतिशत अंक जरूरी कर दिए गए हैं।
यह है सबमिशन असेसमेंट : 
सबमिशन असेसमेंट के तहत कक्षा में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के आधार पर विद्यार्थी के नंबर टीचर द्वारा लगाए जाते हैं। वर्ष के अंत में यह नंबर वार्षिक परीक्षाओं के अंकों में जुड़ जाते हैं, जिससे उनके अंकों की पास प्रतिशत में बढ़ोतरी होती है और विद्यार्थियों में विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने की ललक भी बढ़ती है।
पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए लिया निर्णय : 
सूत्र बताते हैं कि सबमिशन असेसमेंट के नंबर वार्षिक परीक्षाओं में जुड़ने से अब विद्यार्थियों ने पाठ्यक्रम की परीक्षाओं के प्रति ध्यान देना कम कर दिया था और आसानी से पास भी हो जाते। ऐसे में विद्यार्थियों का रुझान नियमित पाठ्यक्रम की ओर बढ़ाने के लिए ही यह फैसला लिया गया है।
विद्यार्थियों का ज्ञान क्रियात्मक बनाने का भी प्रयास : 
सीबीएसई ने फैसला लिया है कि ‘ओपन टेक्सट असेसमेंट’ के तहत अब विद्यार्थियों का ज्ञान क्रियात्मक बनाने के लिए परीक्षा में 10 अंक के दो प्रश्न पूछे जाएंगे जो थीम पर आधारित होंगे। इसका जवाब उन्हें सिलेबस से बाहर अपनी सोच के आधार पर लिखना होगा। इससे उनमें सृजनात्मक सुधार होगा।                                           djsrs

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