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Monday, 28 April 2014

निजी स्कूल संचालकों ने माँगा गरीब बच्चों के लिए शिक्षा भत्ता

** 134-ए पर अम्बाला में प्रदेशस्तरीय बैठक, सुरीना राजन से मिलेंगे स्कूल वाले
अम्बाला सिटी : राज्य के निजी स्कूल संचालक पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश और शिक्षा विभाग की सख्ती के बाद हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट के नियम 134-ए के तहत 10 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देने के लिए तो तैयार हो गए हैं लेकिन वह चाहते हैं कि पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए सरकार ऐसे बच्चों को शिक्षा भत्ता दे। निजी स्कूल संचालकों का तर्क है कि जब प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों को उनके बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षा भत्ता दे सकती है तो इन गरीब बच्चों को क्यों नहीं? इस संबंध में फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारी जल्दी ही शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त सुरीना राजन से भी मिलेंगे। 
फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की रविवार को अम्बाला सिटी के गीतानंद मिडिल स्कूल में बैठक हुई। इसमें प्रदेशभर से निजी स्कूलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। मीटिंग में फैसला लिया गया कि निजी स्कूल संचालक हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट के नियम 134-ए के तहत १० फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों को फ्री एडमिशन तो देंगे, लेकिन सरकार से इन बच्चों को शिक्षा भत्ता दिलाने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के अपने दायित्व से भाग रही है। सरकार अगर सही मायनों में इन बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा दिलाना चाहती है तो उसे इन बच्चों के बैंक खाते खोलकर शिक्षा भत्ता सीधा उसमें ट्रांसफर करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि अगर सरकार शिक्षा भत्ता नहीं देगी तो इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च स्कूल में पढऩे वाले अन्य 90 फीसदी बच्चों के अभिभावकों पर पड़ेगा जो उनसे अन्याय होगा। 
कुलभूषण शर्मा ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय (केवी) केंद्र सरकार से करोड़ों रुपए का अनुदान लेने के बावजूद गरीब बच्चों को नियम 134-ए के तहत दाखिले नहीं दे रहे। आर्मी पब्लिक स्कूल और एयरफोर्स पब्लिक स्कूल भी इस नियम का पालन नहीं कर रहे। प्रदेश सरकार सिर्फ उन स्कूलों के पीछे पड़ी है जो पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। सरकार को सभी स्कूलों पर एक जैसी नीति लागू करनी चाहिए। 
 उन्होंने कहा कि प्रदेश में केंद्रीय विद्यालयों और सरकारी स्कूलों की फीस अलग-अलग है। ऐसे में प्राइवेट स्कूल किसकी तर्ज पर बच्चों से फीस चार्ज करें, ये स्पष्ट किया जाना चाहिए। इसके अलावा नियम १३४-ए के तहत एडमिशन लेने वाले बच्चों के अभिभावकों को इनकम सर्टिफिकेट तहसीलदार या एसडीएम जारी कर रहे हैं जबकि कायदे से यह इनकम टैक्स आफिस से जारी होना चाहिए। बैठक में तय हुआ कि अपनी मांगों को फेडरेशन के लोग शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त सुरीना राजन से मुलाकात करेंगे।                              db



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