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Monday, 28 April 2014

बोर्ड कोई भी, प्रश्न पत्र का डिजाइन एक सा

** पूरे देश में शिक्षा का स्टैंडर्ड एक जैसा हो जाएगा
देश के अलग अलग एजूकेशन बोर्ड के प्रश्न पत्र के डिजाइन में बहुत बड़ा अंतर देखने को मिलता है। कहीं पर तो पेपर बेहद आसान होता है तो कहीं पर मुश्किल , कई स्टेटों में तो पेपर का डिजाइन बिल्कुल ही अलग देखने को मिलता है। जब छात्र 12वीं की कक्षा उतीर्ण कर यूनिवर्सीटी में प्रवेश करते हैं। तो उसमें छात्र की कोई कमी नहीं होती लेकिन उनके लिए यूनिवर्सीटी कोर्स का स्टाइल समझना मुश्किल हो जाता है। जिससे छात्रो को परेशानी झेलनी पड़ती है। 
छात्राओं की इस समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने देश के सभी एजूकेशन बोर्डों का एक सा स्टेंडर्ड बनाने के लिए देश के करीब 21 बोर्डों के क्वेश्चन पेपरों का विश्लेषण किया है। जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। अब बोर्ड ने काउंसिल ऑफ बोर्डस ऑफ स्कूल एजूकेशन (कोबसे) के जरीए कॉमन पेपर डिजाइन कॉन्सेप्ट को लागू करने की पहल की है। जिससे देश के सभी एजूकेशन बोडर्स के पेपरों का डिजाइन एक जैसा हो जाएगा। 
बोर्ड के एक अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक इससे पूरे देश में शिक्षा का स्टेंडर्ड एक जैसा हो जाएगा। जिससे छात्रों को विश्वविद्यालय स्तर पर कोर्स को लेकर होने वाली समस्या का समाधान भी होगा। उन्होंंने कहा कि सीबीएसई द्वारा इसकी पहल की गई है। यदि देश के अन्य सभी बोर्ड इस पर सहमत होते हैं तो देश में के विभिन्न बोर्डों के बीच का शिक्षा गैप समाप्त हो जाएगा। वहीं छात्रों को भी पूरे देश में एक जैसी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा। इससे पूरे देश में शिक्षा का स्टेंडर्ड एक सा हो जाएगा। अभी तो किसी बोर्ड के प्रश्न पत्र में 20 नंबर का एक प्रश्न आत है। उसमे प्रश्नों की संख्या कम होती है। लेकिन किसी बोर्ड के प्रश्न पत्र में प्रश्नो की संख्या 30 से भी अधिक होती है। 
प्रश्न पत्र एनालिसिस की खास बातें 
बोर्ड ने 21 एजूकेशन बोर्ड के पेपरों का जो विश्लेषण किया है। उसमे बोर्ड को काफी चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। किसी बोर्ड में 20 व 30 नंबर के दो क्वेश्चन होते हैं तथा अन्य प्रश्न पांच या दस नंबर के होते है । दो क्वेश्चनों में ही 50 नंबर का पेपर सिमट जाता है। जिससे बोर्ड ने इस पैटर्न को ठीक नहीं माना है। सीबीएसई बोर्ड में 20 व 30 नंबर के क्वेश्चन को कोई प्रोविजन नहीं है। इंगलिश सब्जेक्ट में तो ऐसा पैट्रन लागू नहीं हो सकता। वहीं दूसरी ओर कुछ राज्यों में 0.5 से 1.5 नंबर के क्वेश्चन होते हैं बोर्ड का मानना है कि इस पैट्रन में मार्किंग करने में परेशानी होती है। इससे रिजल्ट बनाने में भी परेशानी होती है। 
"पूरे देश मेें एक जैसा शिक्षा स्टेंडर्ड बनाने के उद्ेश्य से सीबीएसई द्वारा 21 एजूकेशन बोर्डस के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण किया है। जिसमें बोर्ड को बहुत अलग अलग बोर्डस के क्वेचश्चन पेपर में बहुत बड़ा अंतर मिला है। सभी बोर्डस के पेपरों डिजाइन एक सा हो इसके लिए सीबीएसई ने पहले करते हुए यह पैट्रन लागू किया है। यदि सभी स्टेटों के एजूकेशन बोर्डस के इस फार्मेट पर सहमति बनती है तो छात्रों को यूनिवर्सीटी स्तर पर किसी प्रकार की कोइ पेरशानी नहीं होगी।"--वी.जे. मलिक, जिला प्रेजीडेंट सहोदय सोनीपत।                                                                                      dbgohana

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