चंडीगढ़ : प्रदेश के निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत आठवीं कक्षा तक दाखिला पाने वाले गरीब बच्चे ही मुफ्त पढ़ाई कर सकेंगे। नौंवी से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को सरकारी स्कूलों में तय फीस चुकाकर ही निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करनी होगी। इसके अलावा किताबों व परिवहन सुविधा के लिए अलग से राशि का भुगतान करना होगा।
सरकारी स्कूलों में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 30 से 40 रुपये के बीच फीस निर्धारित है। जबकि आठवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया है। यही नियम 134ए के तहत दाखिला पाने वाले बच्चों पर भी लागू होगा। बीते वर्ष से निजी स्कूलों में पढ़ रहे गरीब बच्चों को भी ये सुविधा मिल सकेगी। निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग ने तीसरी से 10वीं व 12वीं कक्षा में दाखिला के लिए आवेदन कर चुके गरीब बच्चों को ड्रा निकलने तक निशुल्क पढ़ाने के लिए कहा है। विभाग ने दाखिलों में देरी के कारण फिलहाल राहत प्रदान करने के मद्देनजर यह कदम उठाया है। सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक चंद्रशेखर के अनुसार निजी स्कूलों को यह आदेश मानने होंगे। उन्होंने बताया कि निजी स्कूल नियम 134ए में निहित प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। अगर निजी स्कूलों ने किसी बच्चे से मनमानी फीस वसूली है तो शिकायत आने पर उसे वापस कराया जाएगा।
शिक्षा मंत्री व महानिदेशक से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल :
दो जमा पांच मुद्दे जनआंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर हुड्डा के नेतृत्व में गरीब बच्चों के अभिभावकों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और महानिदेशक चंद्रशेखर से मिलेगा। हुड्डा ने बताया कि उन्हें ड्रा में देरी होने के दुष्परिणाम बताए जाएंगे। निजी स्कूलों में सीटें अधिक खाली हैं और आवेदन कम आए हैं, इसलिए ड्रा की भी जरूरत नहीं है। गरीब बच्चों को मनमाफिक स्कूलों में दाखिला दे देना चाहिए। dj
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