चंडीगढ़ : देश की नंबर वन यूनिवर्सिटी रैंकिंग में शामिल पंजाब यूनिवर्सिटी में शोध का हाल बेहाल है। पीयू में रिसर्च वर्क को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों खर्च हो रहे हैं, लेकिन नतीजा ऐसा की पीएचडी डिग्री पाने तक शोधकर्ता के पसीने छूट जाएं।
हर साल यूजीसी और अन्य रिसर्च सेंटर से पीयू को करोड़ों की ग्रांट मिलती है। लेकिन, शोधकर्ताओं को समय पर पैसा मिलना तो दूर उनकी सालों की मेहनत भी डिग्री के भरोसे बैठी रहती है। पीयू में रिसर्च की हालत ऐसी है कि शोधकर्ता को थीसिस जमा करने के साल भर तक वाइवा का इंतजार करना पड़ रहा है। पीयू प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा शोधकर्ता भुगत रहे हैं। वहीं पीयू में कुछ ऐसे भी मामले देखने को मिले हैं जब खास लोगों को फटाफट पीएचडी डिग्री मिल गई।
पंजाब यूनिवर्सिटी की 26 अप्रैल को होने वाली सिंडीकेट बैठकमें कई ऐसे स्टूडेंट की पीएचडी को मंजूरी मिलेगी, जिन्हें डिग्री पाने के लिए थीसिस जमा होने के एक साल से अधिक समय तक वाइवा का इंतजार करना पड़ा। इतना ही नहीं कई तो डिग्री के इंतजार में नौकरी के लिए आवेदन तक नहीं कर सके। पीयू के फाइन आर्ट्स विभाग में विनय कुमार शर्मा ने 29 दिसंबर 2011 को थीसिस जमा कराई। पीयू द्वारा एक साल से अधिक समय बाद आठ फरवरी 2013 को थीसिस डिस्पैच की गई और रिपोर्ट 17 जनवरी 2014 को पीयू के पास पहुंची। फिलॉस्फी के छात्र केएन चिंकेरी ने 31 अगस्त 2012 को थीसिस जमा कराई, जिसकी रिपोर्ट 24 जनवरी 2014 को पहुंची। पीयू की लेटलतीफी से कई अन्य स्टूडेंट भी परेशान हैं।
एग्जामिनर ने की देरी तो डीबार
पीयू प्रशासन की ओर से पीएचडी थीसिस की इवेल्यूएशन करने के लिए एग्जामिनर के लिए अधिक से अधिक तीन महीने का समय तय किया गया था। ऐसा नहीं करने पर पीयू प्रशासन ने उस प्रोफेसर को भविष्य के लिए इवैल्यूएटर लिस्ट से डीबार करने का फैसला लिया था। लेकिन, अब भी एग्जामिनर छह महीने से अधिक समय तक थीसिस की रिपोर्ट नहीं भेजते हैं। थीसिस लौटाने में देरी करने वाले एक भी प्रोफेसर पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। उधर, मार्च 2013 सीनेट में डॉ. एमसी सिधू द्वारा शोधकर्ताओं को थीसिस जमा करने से पहले नोटरी से एफिडेविट के फैसले को सीनेट ने नामंजूर कर दिया। लेकिन, अब भी पीएचडी स्कॉलर से शपथपत्र लिया जा रहा है।
पूर्व वीसी की पत्नी को दो महीने में मिली थी पीएचडी डिग्री
पीयू में पीएचडी डिग्री में लेटलतीफी का मामला पहला नहीं है। 2010 में पीयू के पूर्व कुलपति प्रो. आरसी सोबती की पत्नी विपिन सोबती को थीसिस जमा करने के सिर्फ दो महीने के अंदर पीएचडी की डिग्री मिल गई थी। यह भी संयोग कहा जा सकता है कि विपिन सोबती को अपने पति के हाथों ही यह सम्मान मिला। अमर उजाला के इस मामले को उजागर करने के बाद पीयू प्रशासन हरकत में आया। आनन-फानन सभी विभागों से पीएचडी के पेंडिंग केस की रिपोर्ट तलब की गई। इसके बाद पीएचडी के लटके काफी मामले हल कर दिए गए।
महीनों तक नहीं मिलती जेआरएफ स्कॉलरशिप
पीयू के 75 विभागों में एक हजार के करीब रिसर्च स्कॉलर पीएचडी कर रहे हैं, लेकिन पीयू प्रशासन की अनदेखी को लेकर अधिकतर परेशान रहते हैं। जूनियर रिसर्च फैलो (जेआरएफ) स्टूडेंट को छह महीने से एक साल तक फैलोशिप का इंतजार करना पड़ता है। रिसर्च स्कॉलर को कैंपस में हॉस्टल की भी काफी दिक्कतें हैं। au
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.