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Monday, 28 April 2014

स्कूलों में लगे अग्निशमन गैस सिलेंडर हैं खाली

** अधिकारी गंभीर नहीं हैं स्कूलों की सुरक्षा के प्रति 
रतिया : सरकारी स्कूलों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग और अधिकारी गंभीर नहीं हैं। इस बात का प्रमाण स्कूलों में लगे हुए अग्निशमन गैस सिलेंडर हैं जो काफी समय से खाली हैं। इनमें आग बुझाने के लिए न तो गैस है और न ही किसी को इनके संचालन के तौर तरीके आते हैं। ऐसे में अगर स्कूल में आग लगने की कोई घटना हुई तो बड़ा हादसा हो सकता है। साफ है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। 
नियमानुसार ये सिलेंडर हर साल रिफिल करवाने चाहिए, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में न तो सिलेंडर रिफिल करवाए गए हैं और न ही इन्हें संभाला गया। कई स्कूलों में तो दूसरी जगहों से आए खाली सिलेंडर ही टांग दिए गए हैं। ये सिलेंडर कंप्यूटर लैब में लगाए गए थे, ताकि आगजनी होने पर तुरंत आग पर काबू पाया जा सके। हर लैब में 20 से 25 लाख रुपये के कंप्यूटर व अन्य उपकरण हैं। लैब में इन्वर्टर, जनरेटर व बिजली कनेक्शन होने के कारण स्पार्किंग से आग लगने की ज्यादा आशंका रहती है। इसलिए बचाव के लिए एहतियात के तौर पर ये सिलेंडर लगाए गए थे। 
यह है निशानी 
सिलेंडरों के ऊपर लगे मीटर से पता चलता है कि उसमें आग बुझाने की गैस है या नहीं। मीटर पर लाल व हरे रंग के निशान दिए गए हैं। यदि सूई हरे रंग से नीचे है तो इसका मतलब है कि सिलेंडर में गैस नहीं है। यदि सूई लाल रंग को पार कर चुकी है तो इसका मतलब है कि इसे रिफिल ही नहीं करवाया गया है। नियमानुसार इसे साल बाद चैक कर रिफिल करवाना चाहिए। 
जांच करवाएंगे : बीईओ 
बीईओ बलवीर सिंह ने कहा कि स्कूलों में लगे अग्निशमन गैस सिलेंडरों की जांच करवाएंगे। अगर किसी स्कूल में इस बारे में कोई अनियमितता मिली तो कार्रवाई भी की जाएगी।                                             db 

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