** नियम 134-ए गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री एडमिशन देने में नया पेंच
** आरटीई में नियम-8वीं से नीचे के बच्चों की नहीं ली जा सकती प्रवेश परीक्षा
चंडीगढ़ : हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट के नियम 134-ए के तहत निजी स्कूलों में 10 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) और बीपीएल परिवारों के बच्चों को फ्री एडमिशन देने के मामले में अफसरों ने बड़ा खेल खेल दिया और विभागीय मंत्री गीता भुक्कल को खबर तक नहीं लगने दी। अफसरों ने इस नियम के तहत बच्चों को दाखिला दिलाने से पहले उनका एंट्रेस टेस्ट लेने का फैसला किया है। उन्होंने इस मामले में शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) की भी परवाह नहीं की जिसमें स्पष्ट लिखा है कि आठवीं कक्षा से नीचे के बच्चों का स्कूलों में दाखिले से पहले एंट्रेस टेस्ट नहीं लिया जा सकता।
सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक चंद्रशेखर ने बताया कि तीसरी से 12वीं कक्षा (11वीं को छोड़कर) तक नियम 134-ए के तहत दाखिला देने से पहले बच्चों की प्रवेश परीक्षा ली जाएगी। यह प्रवेश परीक्षा 11 मई को गुडग़ांव स्थित स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) में होगी। इसमें मेरिट के आधार पर बच्चों को सेलेक्ट किया जाएगा।
क्या है नियम 134-ए :
हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट-2007 के नियम 134-ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (जिस बच्चे के अभिभावकों की सालाना आय 2 लाख से कम हो) और बीपीएल परिवारों के बच्चों को हर निजी स्कूल में 10 फीसदी सीटों पर निशुल्क दाखिला देना अनिवार्य हैं।
आरोप- निजी स्कूल संचालकों का साथ दे रहे हैं सरकारी अधिकारी
दो जमा पांच मुद्दे जनांदोलन के संयोजक सतबीर हुड्डा का आरोप है कि निजी स्कूल संचालक सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर गरीब बच्चों को उनका हक देना नहीं चाहते। इसी वजह से उन्हें इस नियम को लागू कराने के लिए हाईकोर्ट में लड़ाई लडऩी पड़ी। अब हाईकोर्ट शिक्षा विभाग को 134-ए के तहत बच्चों के एडमिशन कराने का आदेश दे चुका है तो सरकारी अफसर प्रवेश परीक्षा की बात कर रहे हैं।
इतने बच्चे परीक्षा देने कैसे जाएंगे गुडग़ांव
नियम 134-ए को लागू कराने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे दो जमा पांच मुद्दे जनांदोलन के संयोजक सतबीर हुड्डा का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी बिना सोचे-समझे काम कर रहे हैं। आखिर प्रदेशभर से इतने बच्चे परीक्षा देने कैसे गुडग़ांव जाएंगे? इस परीक्षा का रिजल्ट कब आएगा? बच्चों को दाखिले कब तक मिल पाएंगे? जैसे सवालों के जवाब देने के लिए विभाग का कोई अफसर तैयार नहीं है।
बड़ा सवाल:स्कूलों में दो लाख सीटें खाली, फिर परीक्षा का औचित्य क्या
प्रदेश में तकरीबन 4800 निजी स्कूल हैं जिनमें कुल 27 लाख सीटें हैं। नियम 134-ए के तहत 10 फीसदी के हिसाब से इन स्कूलों की दो लाख 70 हजार सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देना अनिवार्य है। शिक्षा विभाग के पास इस साल सिर्फ 40 हजार अभिभावकों ने आवेदन किया, ऐसे में दो लाख सीटें अभी भी खाली पड़ी हैं। सवाल ये है कि खाली सीट होते हुए भी प्रवेश परीक्षा लेने का औचित्य क्या है?
शिक्षा मंत्री से सीधी बात : अधिकारी ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैंने फाइल मंगवाई है : भुक्कल
सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने आखिर एंट्रेस टेस्ट का फैसला कैसे ले लिया?
मुझे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है। मैंने फाइल मंगवा ली है। अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा कि यह फैसला आखिर क्यों लिया गया।
आपको पता क्यों नहीं चला? आखिर गड़बड़ी है कहां?
हम सब लोकसभा चुनाव में व्यस्त थे। अब मामला मेरे ध्यान में आ चुका है इसलिए मैं देखूंगी कि इस निर्णय को लेने की असली वजह क्या है।
राइट टू एजूकेशन एक्ट (आरटीई) में प्रावधान है कि आठवीं कक्षा तक एडमिशन से पहले एंट्रेस टेस्ट नहीं लिया जा सकता?
हां, यह सही है। आरटीई के हिसाब से ऐसा नहीं हो सकता।
पहली के लिए 4942, दूसरी कक्षा के लिए 3733 आवेदन का निकाला ड्रॉ
चंडीगढ़ : हरियाणा स्टेट एजुकेशन एक्ट के नियम 134-ए के तहत पहली और दूसरी कक्षा में एडमिशन के लिए शिक्षा विभाग ने मंगलवार को ड्रॉ निकाला। पंचकूला स्थित मौलिक शिक्षा निदेशालय में कुल 8675 बच्चों के आवेदनों को इस ड्रॉ में शामिल किया गया। सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक चंद्रशेखर ने बताया कि 30 जनवरी, 2014 तक विभाग को पहली कक्षा की 8998 सीटों के लिए 4942 और दूसरी कक्षा की 8947 सीटों के लिए 3733 आवेदन मिले। ये आवेदन ऑनलाइन मांगे गए थे। जिन बच्चों को ड्रॉ में स्कूल मिल गए, उन्हें अपने दस्तावेज 30 अप्रैल, 2014 तक संबंधित स्कूल में जमा कराने होंगे। जिन अभिभावकों के बच्चों को स्कूल अलॉट नहीं हुए, उन्हें इसकी जानकारी एसएमएस से दी जाएगी और उनके लिए दोबारा ऑनलाइन ड्रॉ निकाला जाएगा। उसके बाद भी यदि सीटें खाली रह गई तो उनके बारे में अलग से फैसला लिया जाएगा। db
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