कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्रशासन आरटीआई कानून को गंभीरता से नहीं ले रहा, जिसके चलते आरटीआई के एक महीने बाद भी इसका जवाब देना तो दूर आरटीआई में सवालों के जवाब देना संभव नहीं है कहकर पल्ला झाड़ दिया गया। आरटीआई आवेदक ने 21 मार्च को केयू लाइब्रेरी से कुल नौ सवालों की सूचना मांगी थी, जिसमें पहला सवाल वर्ष 2014 में नेहरु लाइब्रेरी में कितने रुपए की पुस्तकें खरीदी गई, दूसरा अगर पुस्तकें खरीदी गई हैं तो इन्हें खरीदने के लिए बुक परचेज रेट कमेटी का गठन किया गया या नहीं। तीसरा सवाल अगर कमेटी गठित की तो इसके सदस्यों के नाम। चौथा सवाल क्या बुक परचेज रेट कमेटी की जरूरत है।
पांचवां सवाल केयू के ऑडिट विभाग की ओर से पुस्तकें खरीदने के मामले में आपत्ति लगाई है या नहीं। छठा सवाल खरीदी गई पुस्तकों के बिलों की कॉपी देने। सातवां पुस्तकों पर कितना डिस्काउंट दिया गया। आठवां सवाल लाइब्रेरी में पुस्तक खरीदने के नियमों की जानकारी मांगी।
सवालों का जवाब देने की बजाए केयू लाइब्रेरी के अधिकारी ने आवेदक को मौके पर आकर रिकॉर्ड देखने को कहा। इसके अलावा यह भी जवाब दिया कि इन सवालों के जवाब एक ही जगह पर उपलब्ध नहीं हैं। आरटीआई आवेदक ने बताया इन सभी सवालों के जवाब आसानी से दिए जा सकते थे। मामले में आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी को पत्र लिखकर सूचना दिलाने की मांग की है।
आरटीआई से न बचें अधिकारी
आरटीआई कार्यकर्ता पदम प्रकाश और विकास गहलोत ने कहा कि आरटीआई से अधिकारियों को बचने की बजाए उसकी जानकारी समय रहते आवेदक को देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीआई आवेदकों को धमकी देने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं। यह पूरी तरह गलत है। इससे आरटीआई आवेदकों में डर पैदा करने की कोशिश भी की जाती है जोकि आरटीआई एक्ट का उल्लंघन है।
सूचना के लिए कार्यालय में बुलाया
केयू नेहरु लाइब्रेरी की महिला अधिकारी ने बताया कि उक्त आवेदक को सूचना देने के लिए कार्यालय में बुलाया गया था, ताकि उसे जवाब दिए जा सकें। आरटीआई का जवाब देने में उनके स्तर पर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा रही। db
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