** 3.25 रुपए में एक बच्चे के लिए भोजन
** प्राइमरी में पिछले साल प्रति बच्चा 3.11 रुपए प्रतिदिन की राशि तय थी इस बार यह 3.25 रुपए की गई है।
100 ग्राम आटा, 20 ग्राम काले चने को 20 ग्राम चीनी का मिठास देकर 8 ग्राम रिफाइंड से हलवा बनाना है। कुक का यह सुनकर ही माथा ठनक रहा है। भला 8 ग्राम रिफाइंड से हलवा तो दूर पूरी तरह आटा गीला भी नहीं होगा। कुछ इसी तरह की रेसिपी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील राशन की है। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के लिए मिड डे मील भोजन की इस साल आई रेसिपी पर सवाल उठ रहे हैं।
घर से आते हैं खाली पेट
स्कूल में भोजन मिलेगा इसलिए घर से सुबह खाली पेट ही जाते हैं। स्कूल में जो बनता है उसे खा लेते हैं। उन्हें नहीं पता कि क्या और कितना दिया जाता है। खीर अच्छी थी अब वह नहीं मिल रही। हलवा कहा जाता है पर वह महज कसार की तरह सूखा होता है।- निधि, छात्रा कक्षा 4
शिक्षकों को रखा जाए दूर
"मिड डे मील राशन शिक्षकों के लिए सिरदर्दी ही है। सरकार और विभाग भोजन के राशन को लेकर भी शिक्षकों को शक की निगाह से ही देखता है। नियमावली ऐसी हैं कि बच्चों को पूरी तरह पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा। मिड डे मील भोजन व्यवस्था तो किसी अन्य को ही सौंप देनी चाहिए।"--सतबीर गोयत, जिलाध्यक्ष, मास्टर वर्ग एसोसिएशन जींद
बनाकर दिखाएं तो मानें
"स्कूलों में मिड डे मील राशन के लिए जो व्यंजन और सामग्री मात्रा की सूची भेजी गई है उसमें खामियां हैं। जो मात्रा दी गई है उससे संबंधित व्यंजन बनना संभव नहीं है। जिस अधिकारी या हलवाई ने यह रेसिपी सूची बनाई है, वह खुद शिक्षकों के सामने इसे बनाकर दिखाए और पौष्टिकता की पुष्टि कराए तो मानें।"--राजेश खर्ब, राज्य कोषाध्यक्ष, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ
नर्सरी के बच्चों की तो गिनती ही नहीं
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार प्राइमरी स्कूलों में नर्सरी कक्षा के बच्चों के दाखिले भी हुए हैं। हालात यह हैं कि दोपहर के भोजन के लिए उन्हें याद ही नहीं किया गया। मिड डे मील राशन के लिए पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों की ही गिनती होती है और उसी अनुसार राशन बनाना है। ऐसे में स्कूलों में नर्सरी कक्षा में पढऩे वाले बच्चे भोजन कैसे खाएं इसका जवाब नहीं है। स्कूलों में दूसरे बच्चों के भोजन से ही उन्हें भोजन दिया जा रहा है।बच्चों के लिए अब नहीं बनेगी खीर
मिड-डे-मील की पिछले साल की रेसिपी और इस साल की रेसिपी में भी बदलाव हुआ है। पिछले साल 16 व्यंजन थे और इस बार 10 व्यंजन कर दिए गए हैं। खीर को बच्चे बड़े चाव से खाते थे। अब बच्चों के लिए खीर नहीं बनेगी। इस बार मीठा दलिया बनाने को कहा गया है। इसमें गेहूं प्रति बच्चा गेहूं 110 ग्राम, सोया चूरा 6 ग्राम, दूध 60 ग्राम चीनी या गुड़ 33 ग्राम और रिफाइंड 5 ग्राम देना है। 60 ग्राम दूध में दलिया कैसे बनेगा यह देखने लायक है। पूरी सब्जी में सब्जी की मात्रा 75 ग्राम प्रति बच्चा से घटाकर 50 ग्राम कर दी गई है।
ग्राउंड स्तर पर नहीं कामयाब
शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में बच्चों के लिए मिड डे मिल राशन में बनने वाले व्यंजनों की जो सूची भेजी है उसमें उन्हें बनाने के लिए सामग्री की मात्रा का ब्योरा भी दिया गया है। सामग्री की मात्रा जो दी गई है उससे संभव नहीं हो पा रहा है कि वह व्यंजन अच्छे से बन पाए। पहली से पांचवीं कक्षा के लिए सप्ताह में दस व्यंजन बनाने के निर्देश हैं। इसमें दो दिन गेहूं और चार दिन चावल से बने व्यंजन तैयार करने हैं। कड़ी पकौड़ा और चावल बनाने के लिए बेसन 20 ग्राम, सोया चूरा 3 ग्राम, दही 35 ग्राम, मौसमी सब्जी तथा प्याज 40 ग्राम और रिफाइंड तेल 5 ग्राम एक बच्चे के भोजन के हिसाब से लेना है। 5 ग्राम रिफाइंड से कड़ी पकौड़ा बनना संभव नहीं हो पा रहा है। सभी बच्चों के लिए दही भी मिल पाना मुश्किल हो जाता है। आटे के हलवा बनाने के लिए 100 ग्राम आटा, 20 ग्राम चना व केवल 20 ग्राम चीनी तथा केवल 8 ग्राम प्रति बच्चा रिफाइंड निर्धारित किया गय है। पूरी सब्जी बनाने के लिए भी रिफाइंड की मात्रा प्रति बच्चा 5 ग्राम रखी गई है। dbjnd
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.