** क्लास में एक समय में एक ही टीचर पढ़ाएंगे सामान्य व अशक्तबच्चों को
अब मूक-बधिर व दृष्टिहीन बच्चों को अलग से स्कूल में जाने की जरूरत नहीं है। इनके लिए प्रदेश सरकार सामान्य स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण करने की सुविधा देने जा रही है। इतना ही नहीं, अब ये बच्चे सामान्य बच्चों के साथ क्लास में बैठकर सामान्य शिक्षकों से शिक्षा पा सकेंगे। विभाग इनके लिए शिक्षकों को विशेष डिवाइस उपलब्ध कराएगा। राइट टू एजुकेशन के तहत शिक्षाविभाग द्वारा की गई इस पहल से अशक्त बच्चों को फायदा मिलेगा।
2002 में शुरू हुई थी योजना
शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत अशक्त बच्चों को शिक्षा देने के लिए यह योजना 2002 में शुरू की गई थी। तभी अशक्त बच्चों को सामान्य स्कूल में जाने व पढऩे का अधिकार मिल गया था। लेकिन शिक्षकों को ब्रेल लिपि व संकेतक भाषा की जानकारी न होने के कारण यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। इस कारण विभाग ने ऐसे बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षा देने की योजना बनाई, लेकिन ट्रेंड शिक्षकों की कमी के कारण इससे भी सभी बच्चों को लाभ नहीं मिला।
क्या है ट्रेलर फ्रेम व ब्रेल लिपि
यह एक लकड़ी की फ्रेम होती है। इसके अंदर की तरफ लोहे की शीट लगी होती है। शीट में आठकोणीय छिद्र होते हैं, जिसमें लेड के टाइप बने होते हैं। टाइप को छिद्रों में अलग-अलग डायरेक्शन में लगाते हैं। इन पर नंबर भी दिया जाता है, ताकि दृष्टिहीन बच्चे गणित विषय को हल कर सकें। इसी तरह से दूसरे विषयों को पढऩे के लिए ब्रेल लिपि बुक का प्रयोग किया जाता है। यह लिपि उभरी हुई होती है, जिसे उंगलियों के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। लिखने के लिए ब्रेल स्लेट का उपयोग किया जाता है। जब सामान्य बच्चे पेन और कागज का उपयोग कर रहे होंगे, तब ये विद्यार्थी ट्रेलर फ्रेम (एक डिवाइस) के उपयोग से गणित हल करेंगे।
एससीईआरटी (स्टेट काउंसलिंग ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग) द्वारा सभी स्कूलों से एक-एक शिक्षक को ट्रेनिंग दी जाएगी। शिक्षा अधिकारियों के अनुसार यह ट्रेनिंग मई माह में गुडग़ांव में होगी। इसमें शिक्षकों को अशक्त बच्चों को पढ़ाने के लिए ब्रेल लिपि व संकेतक भाषा की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि अशक्त बच्चे क्लास में सामान्य बच्चों के साथ एक ही शिक्षक से शिक्षा पा सकें। dbpnpt
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