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Tuesday, 22 April 2014

उच्चतम न्यायालय के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी

** गरीबों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा रहे प्राइवेट स्कूल संचालक
** दो जमा पांच जनांदोलन के सदस्यों ने अभिभावकों के साथ जताया रोष
कैथल : 134ए को लागू करने को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। यही कारण है कि गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला न मिलने से अभिभावकों को बार-बार प्रदर्शन के लिए उतरना पड़ता है। 
सोमवार को दो जमा पांच जन आंदोलन के सदस्यों ने अभिभावकों के साथ लघु सचिवालय में धरना देकर रोष जताया। जिला प्रभारी रामदिया चावरिया वाल्मीकि ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी 134ए लागू करने को लेकर चुप्पी साधे हुए है। इससे लगता है कि प्राइवेट स्कूल संचालकों ने अधिकारियों की जेब गर्म की हुई हैं।
अधिकारी नहीं सुनते शिकायत 
चावरिया ने कहा कि हैरत की बात है कि इस बारे में उपायुक्त एनके सोलंकी भी कई बार आदेश दे चुके हैं लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। चावरिया ने बताया कि प्राइवेट स्कूल संचालकों ने गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर किसी भी तरह की लिस्ट नहीं लगा रखी है। यदि कोई गरीब अभिभावक अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूलों में लेकर जाता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। 
अपना हक लेकर ही दम लेंगे
रामदिया चावरिया ने कहा कि वे गरीब बच्चों व अभिभावकों के साथ हैं। वे बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाकर ही दम लेंगे। यदि इसके लिए उन्हें न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।
क्या यही है आरटीई? 
एक ओर तो सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों को विभिन्न तरह की छूट दे रही है वहीं दूसरी ओर स्कूल संचालक सरेआम अभिभावकों की जेब काट रहे हैं। अधिकारी गहरी नींद में सो रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक फीस को दाखिला वृद्धि के नाम पर अभिभावकों की जेब ढीली कर रहे हैं लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी ऐसे स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले में 134ए के तहत स्कूलों में विभाग ने करीब 5200 सीट बताई है लेकिन प्राइवेट स्कूल संचालक बच्चों को दाखिला देने के लिए तैयार नहीं हैं।                                         dj

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