चंडीगढ़ : हरियाणा के लिपिक वर्गीय कर्मचारी पंजाब के समान वेतनमान को लेकर सरकार की किसी दलील से सहमत नहीं हैं। हरियाणा मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर पहली नवंबर से ही पंजाब के समान वेतनमान देने की मांग की है।
एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि प्रदेश पर चले आ रहे 82 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का कर्मचारियों का कोई लेना-देना नहीं है। कर्ज के लिए सरकार की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। एसोसिएशन ने निजीकरण और ठेका प्रथा की नीतियों को बंद करने का भी आग्रह किया है। एसोसिएशन केज्राज्य प्रधान महेंद्र प्रताप गुलिया और महासचिव सतीश सेठी ने कहा कि हरियाणा को प्रदेश की जनता ने कर्जदार नहीं बनाया। उसकी तो मेहनत के जायज हक पर भी डाका डाला गया है। पंजाब के समान वेतनमान न देकर कर्मचारियों को सजा दी जा रही है, जबकि सजा तो प्रदेश को लूटने वालों को मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के पंजाब के समान वेतनमान देने के निर्णय की समीक्षा के बजाए उदारीकरण, निजीकरण, ठेका प्रथा व बाजारीकरण की नीतियों की समीक्षा की जानी चाहिए। इन्हीं नीतियों के चलते हजारों करोड़ रुपये कर्मचारियों के बजाए चंद ठेकेदार की जेब में गए हैं। dj
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