भिवानी : देशभर में उच्च शिक्षण संस्थानों यानी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और इंस्टीटय़ूटों को अब नैक का मूल्यांकन न करवाना महंगा पड़ेगा, क्योंकि ऐसे शिक्षण संस्थानों के खिलाफ यूजीसी ने अब अपने तेवर कड़े कर लिए हैं। साथ ही यह फैसला लिया है कि जो शिक्षण संस्थान अप्रैल 2015 तक राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद नैक से एक्रीडेशन नहीं लेंगे, उन्हें अगले वर्ष से अनुदान नहीं मिलेगा। इसको लेकर यूजीसी द्वारा देशभर के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को एक पत्र भेजा गया है।
पत्र के अनुसार अप्रैल तक मूल्यांकन न करवाने वाले विश्वविद्यालयों पर यूजीसी द्वारा चलाए जाने वाले डंडे की जानकारी दी गई है। बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने सभी शिक्षण संस्थाओं के लिए मूल्यांकन कराना अनिवार्य कर चुका है। फिर भी संस्थाएं इसके प्रति गंभीर नहीं है। पत्र के मिलते ही कुछेक संस्थाओं ने इसको लेकर यूजीसी को दिक्कतों का उल्लेख करते हुए पत्र भी भेजा है।
इन्हें ही हेल्प करेगा यूजीसी :
यूजीसी के मेंडेटरी एसेसमेंट एंड एक्रीडेशन ऑफ हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट 2012 के रेगुलेशन के अनुसार यूजीसी सिर्फ उन्हीं हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट को अनुदान देगा, जो रेगुलेशन के मुताबिक एसेसमेंट और एक्रीडेशन प्रोसेस पूरा करेंगे। रेगुलेशन बनने के बाद यूजीसी ने दिसंबर 2013 में सभी यूनिवर्सिटी, कॉलेज और इंस्टीट्यूट से कहा था कि वह 1 जून 2014 तक एक्रीडेशन के लिए अप्लाई कर दें, लेकिन विश्वविद्यालयों एवं इंस्टीट्यूट ने इसे गंभीरता नहीं लिया और न ही इसके लिए अप्लाई किया।
मंत्रलय ने किया है अनिवार्य :
यूजीसी के सचिव प्रो. जसपाल सिंह का कहना है कि जो संस्थाएं अप्रैल तक मूल्यांकन नहीं करवाएंगी, उन्हें अगले वर्ष से अनुदान नहीं दिया जाएगा। वह कहते हैं कि शिक्षकों की कमी, शोध में गिरावट व विद्यार्थियों के सीमित शैक्षिक स्तर के चलते मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने भी मूल्यांकन को अनिवार्य किया है। dj
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