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Tuesday, 1 April 2014

सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 3600 बच्चों ने छोड़ा स्कूल

** शिक्षा से वंचित 'हमारा भविष्य' 
** जिले के अधिकतर स्कूलों में नहीं है साइंस, कॉमर्स के टीचर 
** बच्चे सरकारी छोड़कर प्राइवेट स्कूलों में ले रहे हैं दाखिला
कैथल : अध्यापक न होने के कारण जिले के 3600 बच्चों ने सरकारी स्कूल में पढऩे से तौबा कर ली है। जिलेभर में 83 सीनियर सेकेंडरी स्कूल स्कूल हैं। इनमें से करीब 35 स्कूलों में साइंस व कॉमर्स के विषय भी पढ़ाए जाते हैं, लेकिन टीचर न होने के कारण बच्चे सरकारी स्कूल छोडऩे के लिए मजबूर हो रहे हैं। 
दसवीं के बाद बहुत कम विद्यार्थी आर्ट विषय को लेना चाहते हैं। ज्यादातर विद्यार्थी साइंस और कॉमर्स के ही विषय लेने चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर बच्चे साइंस और कॉमर्स के टीचर न होने के कारण सरकारी स्कूलों से हटकर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। 
प्रिंसिपल बोले-हम बच्चों को झूठ नहीं बोल सकते 
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल रघबीर कादियान ने कहा कि स्कूल में साइंस व कॉमर्स के अध्यापकों की भारी दिक्कत है। दसवीं से पास आउट हुए बच्चे उन्हें अकसर पूछते हैं कि उन्हें साइंस और कॉमर्स के टीचर मिलेंगे। वे बच्चों को झूठ बोलकर दाखिला नहीं दिलाना चाहते। बच्चों की भविष्य की बात है। ऐसे में बच्चे दूसरे स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। इस बारे में उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। 
शहर और गांव दोनों जगह हालात खराब 
हरियाणा अध्यापक संघ के सचिव सतबीर गोयत ने बताया कि दसवीं के बाद जो बच्चे साइंस या कॉमर्स लेना चाहते हैं तो उन्हें टीचर नहीं मिल रहा। कैथल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में ही 600 बच्चे हैं, लेकिन टीचर एक है। ऐसे में बच्चे साइंस और कॉमर्स के विषय नहीं पढ़ पाने के कारण प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं। जिले में साइंस और कॉमर्स विषयों के 3600 में से अधिक बच्चे हैं। जो टीचर न मिलने से प्रभावित हो रहे हैं और स्कूल छोडऩे के लिए मजबूर हैं। गांवों के कुछ सरकारी स्कूलों में साइंस और कॉमर्स के टीचर्स तो हैं, लेकिन बच्चे नहीं हैं। ऐसे टीचर्स को शिक्षा विभाग शहर के स्कूलों में तैनात कर सकता है। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में भी पिछले दो वर्ष से मैथ, कॉमर्स, केमिस्ट्री व फिजिक्स का कोई टीचर नहीं आया। स्कूल में किठाना, गुहणा, कठवाड़ व जसवंती गांवों से लड़कियां पढऩे के लिए आती हैं। दसवीं कक्षा में 250 छात्राएं थी। दसवीं पास कर चुकी छात्राओं में से दो छात्राओं ने ही दाखिला लिया। बाकी ने स्कूल को अलविदा कह दिया है। स्कूल प्रिंसिपल सतीश कक्कड़ ने कहा कि स्कूल में 600 ऐसे बच्चे हैं। जो साइंस या कॉमर्स लेना चाहते हैं, लेकिन टीचर्स की कमी के कारण वे बच्चों को टीचर्स नहीं उपलब्ध करा सकते। इस समस्या के हल के लिए वे कई मीटिंग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया। इस तरह सभी 35 स्कूलों का टोटल करने पर पता चला कि 3600 से अधिक बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है। 
"जिले के अधिकतर सरकारी स्कूलों में मेडिकल, नॉन मेडिकल के टीचर नहीं हैं। टीचर्स की नई भर्ती होने के बाद ही समस्या का हल हो सकता है। सरकारी स्कूलों में किसी प्राइवेट टीचर को भी पढ़ाने के लिए नहीं रखा जा सकता। इस बारे में शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी स्कूलों में अध्यापकों की कमी के बारे में पहले से पता है।"--शमशेर सिंह सिरोही, उप जिला शिक्षा अधिकारी                                                        db

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