** पहले घर-घर पहुंचाई पर्चियां फिर दी मतदान में ड्यूटी, आयोग ने की बीएलओ की अनदेखी, संसदीय क्षेत्र में 1500 से अधिक बीएलओ रहे तैनात
लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले बूथ लेवल ऑफिसर बीएलओ को निर्वाचन आयोग भूल गया, जिसके चलते बीएलओ को घर-घर पर्चियां बांटने और पूरा दिन मतदान केंद्र में ड्यूटी देने पर भी मानदेय नहीं दिया गया।
इसके चलते बीएलओ में रोष है। दिलचस्प बात तो यह है कि मतदान के दौरान अन्य सभी अधिकारियों को एक हजार से 1500 रुपए तक मानदेय दिया गया, लेकिन बीएलओ को इसमें शामिल नहीं किया गया। दिलचस्प बात तो यह है कि मतदान केंद्रों पर ड्यूटी दे रहे अधिकारियों ने जहां एक दिन तक चुनावी ड्यूटी दी, वहीं बीएलओ ने कई दिनों तक इस ड्यूटी को निभाया, जिसके बल पर वोट प्रतिशत का आंकड़ा भी बढ़ा। ऐसे में बीएलओ की अनदेखी शिक्षकों को खटक रही है।
1500 से दो हजार को दी पर्ची :
नाम न छापने पर कई बीएलओ ने बताया कि उन्होंने 1500 से लेकर दो हजार मतदाताओं को पर्ची वितरित की हैं। इसके लिए उन्हें दो से तीन दिन का समय लगा। इससे जहां लोगों की परेशानी कम हुई, वहीं उन्हें किसी भी पार्टी के बस्ते पर भी खड़ा नहीं होना पड़ा। घर से सीधे मतदान की पर्ची लेकर मतदान करने से उनके लिए आसानी रही। बीएलओ ने कहा कि जिस तरह अन्य कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी लगाई गई थी, उसी तरह उनकी भी विशेष ड्यूटी थी। ऐसे में उन्हें मानदेय न देकर उनके साथ भेदभाव किया गया है।
बीएलओ की थी एडीशनल ड्यूटी
चुनाव कानूनगो राजकुमार ने कहा कि बीएलओ की एडीशनल ड्यूटी लगाई गई थी। इसलिए उन्हें मानदेय नहीं दिया गया। वहीं मतदान केंद्रों पर लगे अन्य कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी थी, जिसके चलते उन्हें मानदेय दिया गया है। जब उनसे मतदाता पर्चियों और पूरा दिन मतदान केंद्र पर बैठने की बीएलओ की विशेष ड्यूटी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आयोग ने बीएलओ के लिए मानदेय नहीं दिया, जिसके चलते उन्हें पैसे नहीं दिए गए।
बीएलओ को मिले मानदेय
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान विनोद चौहान, सूबे सिंह सुजान, संजय, धर्मबीर, मुकेश, राजेश और पवन ने कहा कि बीएलओ को उचित मानदेय दिया जाना चाहिए। इससे पहले के चुनावों में बीएलओ का काम केवल वोट बनाना था। इस बार के चुनाव में जहां चुनाव आयोग ने मतदाता पर्चियों के वितरण का काम बीएलओ से कराया, वहीं मतदान के दिन बीएलओ की ड्यूटी भी लगाई गई। ऐसे में अन्य चुनावी कर्मचारियों की तर्ज पर बीएलओ को भी मानदेय मिलना चाहिए था। विनोद चौहान ने कहा कि शिक्षकों से काम लेकर भी उनकी अनदेखी की गई है। इससे सभी शिक्षकों में रोष है। dbkkr
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