.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday, 16 April 2014

गाइडों से बच्चों को गाइड कर रहे गुरुजी

** स्कूल मुखिया सुनिश्चित करेंगे कि शिक्षक किताबों से बच्चों को पढ़ाए न कि गाइड या अन्य नोट्स से।
सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही किताबें न मिलने का दुखड़ा रोया जाता है। मगर सच्चाई तो यह कि प्रदेश के 98 फीसदी स्कूलों में सरकार द्वारा मुहैया करवाई जाने वाली किताबों का प्रयोग ही नहीं किया जाता है। ये चौंकाने वाले तथ्य शिक्षा विभाग द्वारा करवाए गए एक सर्वे में सामने आए हैं।       
इतना ही नहीं सर्वे में सामने आया कि गुरुजी इन किताबों की बजाए शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिबंधित गाइडों से शिष्यों को गाइड करने में जुटे हैं। यही वजह है कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास तो दूर, निजी स्कूलों के विद्यार्थियों की तुलना में उनमें सुनने और सीखने का कौशल काफी कम है। यह कहना है शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त सुरीना राजन का। वे मंगलवार को गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय स्थित चौधरी रणबीर सिंह सभागार में एक दिवसीय मंडलस्तरीय ‘क्लास रेडीनेस प्रोग्राम’ कार्यशाला में मुख्यातिथि थी। 
वित्तायुक्त राजन ने कहा कि राज्य में सबसे खर्चीला शिक्षा विभाग है। बावजूद इसके स्कूलों में गुणात्मक सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसे में जरूरी है सीआरपी को प्रभावी ढंग से लागू करने की। इस कड़ी में किताबों के जरिए ही विद्यार्थियों के पढ़ने, लिखने और सुनने के कौशल निखार सकते हैं। शिक्षा व्यवस्था की धुरी स्कूल मुखिया हैं और शिक्षा की धुरी विद्यार्थी। जब तक विद्यार्थियों में किताबें पढ़ने की आदत नहीं डालेंगे तब तक शिक्षा में गुणवत्ता तो दूर गुणात्मक सुधार असंभव है। ऐसे में गाइडों बजाए राज्य शैक्षणिक अनुसंधान परिषद से सरल पाठ्यक्रम के लिए नोट्स मुहैया करवाए जाएंगे मगर स्कूलों में गाइडों से पढ़ाने गलत है। विद्यार्थियों की सुनने व लिखने के कौशल को तभी निखारा जा सकता है कि जब शिक्षक घर पर पाठ्यक्रम की तैयारी कर बच्चों को पढ़ाएं। सरकारी स्कूलों में गाइड के प्रयोग पर बैन लगेगा। हालांकि यह पहले ही प्रतिबंधित है लेकिन फिर से निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।                                                            djhsr

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.