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Wednesday, 2 April 2014

फसली अवकाश का विरोध किया अध्यापकों ने

** फसली अवकाश पांच अप्रैल से करने का कोई औचित्य नहीं 
कैथल : देश व प्रदेश में 16वीं लोकसभा चुनाव के आयोजन की तैयारियां जारी हैं। प्रदेश में इसके सफल आयोजन में लाखों कर्मचारियों व शिक्षकों की आवश्यकता है। चुनाव आयोग ने भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि इस अवधि में कोई भी कर्मचारी व शिक्षक छुट्टी नहीं लेगा। परंतु प्रदेश के शिक्षा विभाग के अधिकारी कुछ ओर ही सोच रखते हैं। 
उन्होंने 5 से 14 अप्रैल के फसली अवकाश की घोषणा कर दी है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला अध्यक्ष कंवरजीत सिंह, सचिव सतबीर गोयत व राज्य संगठन सचिव बलवीर सिंह  ने शिक्षा विभाग की तानाशाहीपूर्ण कार्यप्रणाली का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान में विद्यालयों में नए सत्र के नामांकन चल रहे हैं। वहीं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की माध्यमिक व वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं के दूसरे सेमेस्टर की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य चल रहा है। इन सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम हमारे सामने है। ऐसे में अध्यापक संघ ने मांग की थी कि 5 से 14 अप्रैल 2014 तक के घोषित फसली अवकाश को ग्रीष्मावकाश के साथ जोड़कर 22 मई से 30 जून तक किए जाएं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के प्रशासन ने भी ऐसा ही प्रस्ताव शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भेजा हुआ है। 
पहले से प्लान तय है 
जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद अंतिल ने कहा कि शिक्षा विभाग के कैलेंडर में पहले से ही छुट्टियों दर्ज हैं। उन्होंने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को छुट्टियों का लैटर भेज दिया गया है। 
यह तो तुगलकी फरमान : भारती 
भारती ने कहा कि सकारात्मक विचार करने के स्थान पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने तुगलकी फरमान जारी कर फसली अवकाश घोषित किए हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ व पंचकूला में बैठे आला अधिकारियों को तो शायद यह भी मालूम नहीं की अधिकतर हरियाणा में तो फसल ही 15 अप्रैल के बाद आएगी। नि:संदेह भारी संख्या में मजदूर व किसान वर्ग के बच्चे तब भी कक्षाओं से दूर रहेंगे।                                        db

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