शिक्षा विभाग द्वारा किए गए फसली अवकाश को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। अध्यापकों का कहना है कि अभी तो फसल पकी भी नहीं है तो सरकार ने आखिर किस लिए फसली अवकाश की घोषणा कर दी है। हर साल होने वाले फसली अवकाश की अव्यवहारिकता को लेकर सवाल तो बड़े लंबे समय से उठते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार भी मान गई थी कि दाखिलों के लिए अहम माने जाने वाले इस समय में छुट्टियां नहीं की जाएंगी।
सरकार ने बाकायदा बच्चों में बांटे जाने वाले शिक्षा सेतु नाम के कैलेंडर कम रिपोर्ट कार्ड में इन छुट्टियों को काटकर जून महीने में होने वाली छुट्टियों को 22 मई से शुरू करने का कार्यक्रम जारी किया था। फिर पता नहीं क्या हुआ कि शिक्षा सेतु में दर्ज स्कूल का कैलेंडर धरा धराया रह गया और शिक्षा विभाग ने 5 अप्रैल से 14 अप्रैल तक की छुट्टियां घोषित कर दी। सरकारी आदेश हैं, इसलिए सरकारी स्कूल तो तुरंत बंद कर दिए गए हैं, लेकिन तकरीबन सारे निजी स्कूल धड़ल्ले से खुल रहे हैं। इस संबंध में जब निजी स्कूल संचालकों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि निजी स्कूलों में अक्सर साधन संपन्न लोग ही अपने बच्चों को दाखिल करवाते हैं।
साजिश है सरकार की : अध्यापक संघ
हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूलों में ज्यादा छुट्टियां होने का कुप्रभाव पढ़ाई और दाखिले दोनों पर पड़ता है। इसलिए इस तरह की गैर जरूरी छुट्टियों से बचा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अध्यापक संघ अनेक बार शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर तमाम स्थितियों से परिचित करवा चुका है, लेकिन फिर भी अधिकारी बार बार उन्हीं गलत परंपराओं को निभाए चले जा रहे हैं जिनके कारण सरकारी स्कूलों के स्तर नीचा हुआ है। शर्मा ने कहा कि पूरे अध्यापक समाज को लगता है कि सरकार जानबूझकर सरकारी स्कूलों को बदनाम करना चाहती है ताकि कल को पढ़ाई न होने के बहाने बनाकर इन स्कूलों को बंद कर दिया जाए और शिक्षा की बागडोर प्राइवेट हाथों में सौंप दी जाए। dbktlguhlchk
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