चंडीगढ़ : पंजाब सरकार ने कम बच्चों वाले प्राइमरी स्कूलों पर ताला लगाने की तैयारी कर ली है। ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को नजदीक के सरकारी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। हालांकि सरकार के इस फैसले से छोटे बच्चों की मुसीबत बढ़ सकती है।
शिक्षा विभाग ने शिक्षा अधिकार एक्ट की दलील देकर रेशनेलाइजेशन लागू करने की कवायद शुरू की है। विभाग के मुताबिक बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या काफी कम है। उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाना चाहिए। विभाग ने सभी जिलों से ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूलों का ब्योरा मांगा है जहां बच्चों की संख्या तीस से कम है। इनको जिन स्कूलों में मर्ज किया जाना है, उनका ब्योरा भी मांगा गया है। मर्ज करने के बाद उस स्कूल में होने वाली बच्चों और टीचरों की संख्या भी मांगी गई है। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (एलिमेंट्री) को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। ब्योरा आने के बाद सरकार जल्द ही कम बच्चों वाले स्कूलों को मर्ज करने पर फैसला ले सकती है। विभाग के इस फैसले से सबसे ज्यादा छोटे बच्चे प्रभावित होंगे। उन्हें स्कूल के लिए काफी दूर जाना पड़ेगा। दूसरे गांव में जाने के लिए कई जगह बीच में चौड़ी सड़कें भी रोजाना पार करनी पड़ेंगी। वहीं, शिक्षा अधिकार एक्ट के मुताबिक स्कूल, बच्चे के घर के एक किलोमीटर के दायरे में होना चाहिए। इस फैसले से कई जगह स्कूल की दूरी बढ़ सकती है। टीचर संगठन सरकार के इस फैसले के विरोध में आ गए हैं। उनका कहना है कि विभाग में 31 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। टीचरों के खाली पदों के चलते ही बच्चों की संख्या कम हुई। अब विभाग के नये फरमान से और बच्चे स्कूल जाना छोड़ सकते हैं।
जीटीयू ने 16 को बुलाई मीटिंग
गवर्नमेंट टीचर यूनियन सरकार के प्रस्तावित मर्जर के विरोध में आ गई है। जीटीयू ने 16 नवंबर को गुरु नानक देव लाइब्रेरी, जालंधर में मीटिंग बुलाई है। इसमें जिला प्रधानों के अलावा सभी 223 ब्लॉकों के प्रधान भी शामिल होंगे। बैठक में आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों, पेरेंट्स और पंचायतों को साथ लेकर जीटीयू मर्जर के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी। au
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