** पंजाब वित्त नियमों के उल्लंघन पर मौलिक शिक्षा विभाग मौन
** मुख्याध्यापकों ने मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने का निर्णय लिया
चंडीगढ़ : प्रदेश के मिडिल स्कूलों में तैनात मुख्याध्यापकों का दर्जा कार्यालय में तैनात अधीक्षक से भी छोटा है। सरकार इनसे काम तो द्वितीय श्रेणी के अधिकारी का ले रही है, लेकिन दर्जा तृतीय श्रेणी का दिया हुआ है। दर्जे में पीजीटी और अधीक्षक इनसे ऊपर हैं।
हरियाणा में लागू पंजाब वित्त नियमों में मुख्याध्यापकों को आहरण एवं वितरण शक्तियों के साथ ही द्वितीय श्रेणी का दर्जा मिलना चाहिए था। पंजाब वित्त नियमों के नियम 1.24 की अनुपालना में प्रदेश के सभी आहरण-वितरण अधिकारी द्वितीय श्रेणी में हैं। मौलिक स्कूल मुख्याध्यापक आहरण-वितरण अधिकारी बनाए जाने पर भी इस नियम के तहत नहीं लाए गए हैं। वित्त विभाग के 2009 में जारी पत्र के अनुसार ग्रेड पे किसी पद का दर्जा तय करने का मानक है। विभाग मे 4800 ग्रेड पे वाले पीजीटी तथा 4200 ग्रेड पे वाले अधीक्षक द्वितीय श्रेणी में हैं, जबकि 4800 ग्रेड पे होने के बावजूद मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों को तृतीय श्रेणी मे रखा गया है।
मुख्याध्यापकों के साथ इससे बड़ी ज्यादती और क्या हो सकती है कि उनके कम ग्रेड पे वाले सभी आहरण-वितरण अधिकारी द्वितीय श्रेणी में हैं। 4200 ग्रेड पे वाले सीडीपीओ, 4600 ग्रेड पे वाले सहायक रजिस्ट्रार (कोआपरेटिव सोसाइटी) व सहायक खजाना अधिकारी भी द्वितीय श्रेणी के लाभ पा रहे हैं।
मुख्याध्यापक इस मसले को अनेक बार सरकार के समक्ष उठा चुके हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा। मुख्याध्यापकों ने अब इस मसले को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष उठाने का निर्णय लिया है। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता का कहना है कि कुछ समय पहले ही उन्होंने विभाग का कामकाज संभाला है। मामले की जानकारी हासिल कर नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। dj
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