हिसार : भाजपा के नेतृत्व वाली प्रदेश की नवगठित सरकार कर्मचारी वर्ग की भर्तियों व पदोन्नतियों में निम्र स्तर की राजनीति कर वोट हासिल करने के प्रयास में जुट गई है। प्रदेश सरकार ने पुलिस कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, चयनित अध्यापकों को नियुक्ति देने पर रोक लगा दी है, शिक्षा सदन के बाहर शीत लहर के बावजूद धरना दे रहे हजारों कम्प्यूटर टीचरों को पक्का नहीं किया जा रहा है और इसी प्रकार पिछले 8-9 वर्षों से कार्यरत गैस्ट टीचरों के मामले को भी लटकाया जा रहा है।
यह बात आज हरियाणा कर्मचारी महासंघ के पूर्व जिला प्रधान एवं रोडवेज कर्मचारी यूनियन के पूर्व प्रधान राजबीर सिंधु ने एक बयान जारी कर कही।
उन्होंने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की एक बैंच द्वारा राजबीर बनाम हरियाणा सरकार के मामले में 14 नवंबर 2014 के फैसले के अनुसार सरकार को आरक्षण कोटे में 15 जनवरी, 2006 के बाद की गई पदोन्नतियों को तीन माह में रद्द करके उच्च न्यायालय को सूचित किए जाने के निर्देश दिए थे। इस मामले की सुनवाई 14 फरवरी को होनी है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को लागू न करके सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया तो सामान्य वर्ग के दो वरिष्ठ कर्मचारी नेता आमरण अनशन पर जाने को विवश होंगे, जिसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब गत दिवस महात्मा गांधी के शहीदी दिवस पर भी कर्मचारी वर्ग को जातिवाद के नाम पर बांटने की घोषणा की है, जो राजनीति का निम्र स्तर है, जो किसी भी तरह से कर्मचारी हितैषी निर्णय नहीं कहा जा सकता। उन्होंने प्रदेश सरकार के सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर लिए गए निर्णय की कड़ी निंदा की है। dt
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