तोशाम : ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों को हाईटेक किया जाना यहां के मुखियाओं और अध्यापकों के लिये किसी आफत से कम नहीं है। विभागीय काम ऑनलाइन होने से बिना कंप्यूटर के कोई भी काम नहीं हो पाता है। स्कूलों में कंप्यूटर से लेकर ब्रॉडबेंड की भी सुविधा उपलब्ध है, लेकिन फिर भी इन स्कूलों के मुखियाओं के एक मेल आते ही इधर-उधर की दौड़ लगानी पड़ती है। कारण ग्रामीण क्षेत्र में बिजली न होना। यहां ज्यादातर समय बिजली रहती नहीं, जबकि अब सारा काम ऑनलाइन होने लगा है। ऐसे में स्कूल के मुखियाओं और अध्यापकों की सिरदर्दी बढ़ गई है। वैसे तो स्कूल में सरकार ने जेनरेटर का भी इंतजाम कर रखा है, लेकिन इनको चलाने के लिये डीजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जिस कारण ये जेनरेटर सफेद हाथी बनकर रह गये हैं। ऐसे में कोई भी मेल चेक करनी हो तो इन स्कूल मुखियाओं को साइबर कैफे की दौड़ लगानी पड़ती है और यह सारा बोझ उनकी जेब पर पड़ता है।
आज स्कूलों का विभागीय पत्राचार लगभग खत्म हो गया है और इसके लिए ई-मेल से ही विभाग द्वारा जरूरी डाक मांगी जाने लगी है और लिपिकीय कामकाज लगभग कंप्यूटर ने ले लिया है। बोर्ड के परीक्षा फार्म भरने हों या फिर आरोही स्कूलों के दाखिला फार्म, सबकुछ स्कूलों के मुखियाओं व अध्यापकों को ऑन लाइन करना पड़ रहा है। इसके साथ ही मिडिल और प्राथमिक स्कूलों में जनरेटर की व्यवस्था भी नहीं है और इनवर्टर व बैटरियां खराब हो चुके हैं। हाल ही में विभाग द्वारा एससी, बीसी व बीपीएल विद्यार्थियों की सूची स्कालर्शिप के लिए ऑन लाइन मांगी गई थी और अब आरोही स्कूलों में दाखिलों के लिए सरकारी स्कूलों पढऩे वाले बच्चों के ऑन लाइन फार्म भरने के आदेश दिए गए हैं। कमासिक मूल्याकंन का रिजल्ट भी ऑन लाइन किया जाता है। ऐसे में बिजली और डीजल की कमी के चलते स्कूल मुखियाओं व अध्यापकों को दो-चार होना पड़ता है। और सारी व्यवस्था को सूचारू रूप से चलाने के लिए मुखियाओं व अध्यापकों को जुगाड़ करना पड़ता है।
बजट ही पास नहीं
इस बारे में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश प्रचार सचिव मास्टर जगरोशन ने कहा कि स्कूलों में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है, कंप्यूटर पर काम करने वाले कर्मियों की कमी है और न ही इससे संबंधित विभाग द्वारा किसी प्रकार बजट जारी किया जाता है। ऐसे में स्कूलों में ही जुगाड़ करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि समय पर स्कूलों में सूचनाएं नहीं मिलती और बाद में स्पष्टीकरण की मार झेलनी पड़ती है। इससे कई योजनाओं का पता ही नहीं चल पा रहा है। वहीं इस बारे में विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने के स्थिति में दिखाई नहीं पड़ते। खंड शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र यादव ने कहा कि स्कूलों में दो घंटे बिजली आती है और धीरे-धीरे काम किया जा सकता है। dt
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