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Thursday, 10 March 2016

सरकारी पुस्तकों की खरीद में जमकर गोलमाल

** 25 से 40 रुपये तक की पुस्तकों पर 400 रुपये तक प्रिंट रेट, क्लर्क की शिकायत पर बैठी जांच
यमुनानगर : प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में किताबों के लिए जारी ग्रांट में जमकर धांधली हुई। इसके अलावा जिन सरकारी स्कूलों को किताबें जिस पब्लिसिंग हाउस ने दी उसने भी अनाप-शनाप रेट लगाए। अंदेशा लगाया जा रहा है कि इसका कमीशन स्कूलों के ¨प्रसिपल से लेकर कई बड़े अधिकारियों तक पहुंचा होगा। 
इसका खुलासा उस समय हुआ जब यमुनानगर जिले के हरिपुर कंबोज के सरकारी स्कूल के क्लर्क हरीश कुमार ने बीईओ को लेटर लिखकर उसके स्कूल में किताब खरीद में हुए गोलमाल की जांच कराने की मांग की है। बता दें कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बुक बैंक बनाने के लिए वर्ष 2015-16 में पुस्तक खरीद के लिए सरकार ने करीब साढ़े तीन करोड़ों रुपये की ग्रांट जारी की थी। इसको खरीदने के लिए स्कूल स्तर पर खरीद कमेटी बननी थी। कमेटी में स्कूल मुखिया के अलावा पोस्ट ग्रेजुएट टीचर, टीजीटी टीचर के अलावा जिन स्कूलों में लाइब्रेरियन है उन्हें शामिल किया जाना था। साथ ही जिस पब्लिकेशन से किताब खरीदनी थी उनसे सर्टीफिकेट लेना था कि जो किताबें ली गई हैं उनसे कम कम रेट पर कोई और किताब नहीं दे सकता। अगर देगा तो पब्लिकेशन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। लेकिन इस प्रकार कोई प्रमाणपत्र भी स्कूलों में नहीं दिया जा रहा। यह भी बताया गया है कि प्रमाण पत्र मिले बिना स्कूल ¨प्रसिपल व हैडमास्टर पुस्तकों की पेमेंट नहीं करेंगे। इतना ही नहीं इस पूरे मामले में घोर अनियमितता बरती गई।जो विभाग द्वारा लेटर जारी किया गयार है उसके ¨बदु नंबर पांच के पांचवे उप ¨बदु की अनुपालना नहीं की गई। हरिपुर कंबोज सरकारी स्कूल में क्लर्क हरीश ने बताया कि उनके स्कूल में भी पुस्तकें खरीदने के लिए ग्रांट आई थी जिसके अंतर्गत प्रत्येक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए 11 हजार 477 रुपये व हाईस्कूल के लिए 10 हजार 130 रुपये की ग्रांट दी जानी थी। उनको पता लगा कि पंचकूला के आस्था पब्लिकेशन ने जो पुस्तकें खरीदी हैं, उनके ¨पट्र रेट काफी ज्यादा हैं। हरीश के मुताबिक किताब बेचने से पहले पब्लिकेशन ने स्कूल के ¨प्रसिपल को अलग-अलग तीन कोटेशन भी दिए। कोटेशन में आशीष बुक्स के अलावा दो और कंपनियों के कोटेशन थे। बाद में आस्था पब्लिकेशन ने आशीष बुक्स की सूची वाली किताबें विद्यालय को 20 प्रतिशत लैस पर दे दीं। शिकायतकर्ता का कहना है कि जो किताबे ली हैं वह बहुत महंगी है, साथ ही ये भी संदेह है कि वो दो अन्य कोटेशन भी फर्जी हो सकते हैं। 
खुद बात करने पर हुआ खुलासा
शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्होंने सप्लायर से नजीबाबाद एकेडमी संचालक बनकर बात की। उसने उनको उन्हीं पुस्तकों पर 60 प्रतिशत तक लैस देने की बात कही, जो सरकारी स्कूलों में खरीदी गईं। इस पर उन्होंने कोटेशन के तौर पर ईमेल मंगवा ली। ई मेल पर उसने एक बार नहीं तीन बार पुस्तकों के रेट लिखकर दिया, जिसमें 40, 50, 60 प्रतिशत तक का लैस देने का उल्लेख किया गया है।
"क्लर्क की शिकायत मिलते ही तीन स्तरों पर कार्रवाई की गई। पहला स्कूल ¨प्रसिपल को दिशा निर्देश दिए गए कि यदि पब्लिकेशन न्यूनतम कीमत का प्रमाणपत्र नहीं देता तो उसे पेमेंट न की जाए। दूसरा मामला डीईओ के संज्ञान में भेज दिया गया है। तीसरा खंड के स्कूल मुखियों को विभाग के पत्र के ¨बदु पांच के उप ¨बदु पांच के अनुसार सूचना देने हेतु पत्र जारी किया गया है।"-- सुधीर कालड़ा, खंड शिक्षा अधिकारी यमुनानगर
                                    dj

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