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Tuesday, 1 April 2014

रजिस्टर में 'डॉट' से नहीं चलेगा काम, अबसेंट पर लगेगी 'ए'

** मिड-डे मील से राशन चोरी को रोकने के लिए विभाग की नई पहल 
** 85 हजार विद्यार्थी खा रहे हैं मिड-डे मील, जिले के 724 स्कूलों में अभी तक लगाई जा रही है अनुपस्थिति पर 'डॉट' 
अम्बाला : 11 साल से चल रही प्राथमिक स्कूलों में डॉट प्रथा अब बंद हो जाएगी। अबसेंट होने पर रजिस्टर में अब 'ए' लिखा जाएगा। बच्चों के राशन में सेंधमारी को रोकने के लिए यह योजना बनाई गई है। जिलेभर में 724 स्कूलों व आंगनवाडिय़ों में वर्तमान में 'डॉट' प्रथा चल रही है। इन स्कूलों में मिडिल कक्षा तक करीब 85 हजार से अधिक बच्चों पर इस नई योजना को लागू किया जाना है। योजना के तहत गैर हाजिर होने पर डॉट (बिंदू) की जगह 'ए' नहीं लगाया गया तो जिम्मेदारी इंजार्च/प्रिंसिपल की होगी। इतना ही नहीं, कक्षा में हाजिरी लेने के बाद 'ए' और 'पी' लगाने के लिए कुछ समय ही दिया जाएगा। इस पहल से मिड-डे मील में होने वाले गड़बड़झाले को रोकने के लिए जिला शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। मिड-डे मील में राशन को लेकर आ रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन जल्द ही इस योजना को स्वरूप दे सकता है। दरअसल, मिड-डे मील में बनने वाला राशन बच्चों की संख्या में आधार पर निकाला जाता है। प्रतिदिन जितनी संख्या में स्कूल में बच्चे आएंगे, उसी आधार पर प्रति बच्चे के हिसाब से राशन निकलता है। 
2003 में शुरू हुई थी योजना : 
प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2003 से दोपहर के समय पका हुआ भोजन देना शुरू किया गया। तब से अब तक रजिस्टर में डॉट का प्रयोग किया जा रहा है। उपस्थित होने पर 'पी' लगाया जाता है, अनुपस्थिति पर डॉट। इस योजना को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2008 में मिडिल स्कूलों में भी इस योजना के तहत पका हुआ भोजन दिया जाने लगा। इन स्कूलों में भी यही आधार चल रहा है। 
इन स्कूलों में लागू होगी योजना : 
जिले में इस समय 505 प्राथमिक, 138 मिडिल व 81 हाई (मिडिल) स्कूल हैं। प्राथमिक पाठशालाओं में 40 हजार 551 बच्चे पढ़ रहे हैं। मिडिल में 30 हजार 996 तथा हाई (मिडिल) में 19 हजार 686 बच्चे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त आंगनवाडिय़ों में बच्चों की संख्या में जिले में हजारों में है। इन स्कूलों में पढऩे वाले मिडिल स्कूल तक के विद्याॢर्थयों पर नई योजना को लागू किया जाएगा। 
डेली रखना होगा हिसाब-किताब : 
कक्षा में प्रतिदिन कितने बच्चे आ रहे हैं और कितने बच्चों का मिड-डे मील बन रहा है। इसका रिकार्ड टीचर या स्कूल इंचार्ज को प्रतिदिन रजिस्टर में लिखना होगा।
ऐसे होती है गड़बड़ी 
सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को मिड-डे मील देने के लिए सारा रिकार्ड स्कूल के इंचार्ज पर होता है। कितना राशन आया, खरीदा गया, पकाया गया आदि इसमें शामिल हैं। जो बच्चे अनुपस्थित रहते हैं, टीचर रजिस्टर में उनके नाम के आगे बिंदू लगा देते हैं। 10 बच्चे अनुपस्थित हैं तो उनके रिकार्ड में राशन चढ़ाकर, कुछ समय बाद डॉट के स्थान पर 'पी' कर आसानी से राशन चुरा लिया जाता है। इस प्रकार प्रतिदिन स्कूलों में अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों की संख्या हजारों में पहुंच जाती है। इसी को रोकने के लिए अब यह कदम उठाया गया है। 
"इस तरह की योजना को लागू करने से मिड-डे मील के राशन में होने वाली गड़बड़ी को रोका जा सकता है। यदि ऐसा करने से कुछ सही होता है। सुधार होता है तो फिर इसे लागू करने में हर्ज भी क्या है।"--सुमन आर्य, जिला शिक्षा अधिकारी। 
"अच्छी योजना है। ऐसा करने से राशन में सेंधमारी रोकी जा सकती है। इसे दूसरे जिलों की भांति हम भी लागू कर सकते हैं।"--धर्मवीर कादियान, डीईईओ।                                 db

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