यह खबर उन सरकारी अध्यापकों के लिए अच्छी नहीं है जिन के स्कूल में बच्चों की संख्या कम है। क्योंकि शिक्षा विभाग ने मिडिल स्कूलों में रेशनेलाइजेशन करने का निर्णय लिया है। इस लिए जहां जरूरत से ज्यादा अध्यापक होंगे, वहां से उन्हें हटा कर जरूरत के स्कूलों में भेजा जाएगा।
जानकारी के मुताबिक मौलिक शिक्षा विभाग ने पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों का रेशनेलाइजेशन करने का निर्णय लिया है। इसका सबसे बड़ा कारण कई स्कूलों में जरूरत से ज्यादा अध्यापक कार्यरत है। जबकि कई स्कूलों में बच्चे अध्यापकों की कमी झेल रहे हैं। इसके लिए मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को प्रपत्र जारी कर 28 अप्रैल तक अपने जिले में कार्यरत अध्यापकों व बच्चों की संख्या का विवरण मांगा है। इसके साथ ही इसके लिए विभाग के पंचकुला स्थित मुख्यालय में बैठक भी बुलाई है।
लचीले नियम से अध्यापकों को मिलता रहा है लाभ
कई स्कूलों में अध्यापक बिना जरूरत के अपने पदों को बनाए रखने में लगे रहते हैं। यह सरकारी नियमों में लचीलेपन के कारण होता है। उदाहरण के तौर पर छठी से आठवीं कक्षा तक 45 बच्चों पर एक टीचर लगाया जाता है, लेकिन फिर 46 से 90 तक की संख्या पर दूसरा टीचर लगाया जाता है। इसी क्रम में अध्यापकों की संख्या बढ़ती है, लेकिन अगर 91 बच्चे भी हो गए तो दो टीचर नहीं रहेंगे, बल्कि उस स्कूल में टीचरों की संख्या तीन हो जाएगी। अकसर अध्यापक अपने स्कूलों में 91 बच्चों के नाम लिख लेते हैं। इससे उनकी पोस्ट बच जाती है।
"पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों का वैज्ञानिकी करण किया जाएगा। जिन स्कूलों में बच्चे कम और अध्यापक ज्यादा हैं, उन्हें दूसरे स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा। इसके लिए 28 अप्रैल को पंचकुला में बैठक बुलाई गई है।"--रणधीर सिंह बलोदा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी। dbnrnl
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