** एक बार फिर नाम परिवर्तन को लेकर मचने लगा शोर, दो साल से कागजों में कार्रवाई, स्कूल संचालकों ने कहा
शिक्षा विभाग के आदेश निजी शिक्षण संस्थानों के लिए शायद पत्राचार तक ही सिमटकर रह गए हैं। यही कारण है कि दो साल पहले जारी निर्देशों के अनुसार सभी ऐसे शिक्षण संस्थान जो इंडियन, इंटरनेशनल और भारतीय जैसे नामों से चल रहे हैं उन्हें तुरंत नाम बदलने के आदेश का अभी तक पालन नहीं हो सका है। ऐसे संस्थानों के नाम परिवर्तन को लेकर फिर शोर मचने लगा है।
शिक्षा विभाग ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्रवाई आरंभ करते हुए उन्हें चेतावनी देने के साथ उनकी मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई को लेकर नोटिस जारी करता रहा है। भले जिले में ऐसे नाम वाले स्कूल और शिक्षण संस्थानों की संख्या 20 से 25 के करीब हो लेकिन कार्रवाई कागजों तक ही सीमित रही। इन नामों पर है आपत्ति: करीब दो साल पहले जारी आदेश अनुसार इंडियन, राष्ट्रीय, नेशनल, इंटरनेशनल, भारतीय, हिंदू जैसे राष्ट्रीयता और देश की प्रभुता से संबंधित संस्थानों के नाम सरकार और सरकारी योजनाओं का निजी संस्थान लाभ उठाने का आरोप लगा था। इसलिए ऐसे संस्थानों के नाम से निजी संस्थान नहीं चलाए जाने चाहिए। जिले में ऐसे करीब 20 स्कूल और दस अन्य कॉलेज और ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट, कॉलेज आदि हैं। अब इन संस्थानों को नाम बदलने के लिए दबाव आ रहा है।
भ्रम की स्थिति बनेगी
विभिन्न स्कूलों के संचालकों का कहना है कि अगले एक साल तक उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। लोगों में भ्रांतियां पैदा होंगी। इसके तहत लोगों में संस्थानों के कार्यशैली को लेकर सवालिया निशान उठने शुरु हो जाएंगे। सभी अभिभावक शिक्षित नहीं हैं ऐसे में वे भ्रमित होंगे।
क्या हो समाधान
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रधान सतबीर यादव, विभिन्न शिक्षण संस्थानों के संचालक मुकेश कुमार, लालसिंह, दयाराम, राजकृष्ण, राजेश सहित अनेक शिक्षाविदें का कहना है कि विभाग को सख्ती दिखाने के बजाय ऐसे उपाय करने चाहिए ताकि उन्हें कानूनी दांव पेच और अन्य परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। इसके तहत इतना ही प्रावधान हो कि एक एफिडेविट के माध्यम से नाम परिवर्तन कराया जा सके।
आदेशों का सख्ती से पालन हो: डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी संगीता यादव ने बताया कि सभी खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से ऐसे संस्थानों की सूची तैयार की जा चुकी है। उन्होंने सभी ऐसे शिक्षण संस्थानों से नाम बदलकर इसकी जानकारी विभाग को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कानून और नियम सभी के लिए एक समान है। सभी को इसका पालन करना चाहिए।
संबंधित संस्थानों को नोटिस जारी करना चाहिए
जिले में ऐसे नामों से चल रहे शिक्षण संस्थानों के संचालकों का कहना है कि सबसे पहले विभाग को संबंधित संस्थानों को नोटिस जारी करना चाहिए। इसमें उन्हें कुछ समय का मोहलत दिया जाना चाहिए। इसके लिए नियम भी सरल करने चाहिए। dbrwd
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