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Saturday, 12 April 2014

सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा पर संकट के बादल

** नहीं मिल रहा नियमित वेतन, सरकार से खफा
** नए शैक्षणिक सत्र में नौकरी छोड़ने पर कर रहे विचार
रोहतक : प्रदेश के माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक सरकारी स्कूलों में निजी कंपनियों के अधीन अनुबंध पर कार्यरत 2622 कंप्यूटर शिक्षक वेतन नहीं मिलने से सरकार से बेहद खफा हैं। आलम यह है कि इनमें से कुछ शिक्षक वेतन नहीं मिलने से 15 अप्रैल से शुरू हो रहे नए शैक्षणिक सत्र में नौकरी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। इसका खामियाजा स्कूल के बच्चों को भुगतना पड़ सकता है।
प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के आइसीटी प्रोजेक्ट के तहत जिलों के राजकीय माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने को तीन निजी कंपनियों को अधिकृत किया हुआ है। इन कंपनियों ने अगस्त 2013 से प्रदेशभर में अनुबंध आधार पर 2622 कंप्यूटर शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। शिक्षकों को वेतन देने के मामले में ये कंपनियां लेटलतीफी कर रही हैं। इससे शिक्षकों को आर्थिक परेशानी हो रही है। दूसरी ओर प्रदेश सरकार भी कंप्यूटर शिक्षकों को वेतन न मिलने की समस्या से अवगत है, लेकिन इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। हाल यह है कि कुछ शिक्षक तो नौकरी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें नियुक्त करने वाली कंपनियां सरकार के संरक्षण में ही नियमित रूप से वेतन न देकर उनका शोषण कर रही हैं। ऐसे में उनके पास नौकरी छोड़कर कोई अन्य काम करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। वहीं अगर शिक्षक वेतन नहीं मिलने से नौकरी छोड़ देते हैं तो सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा पर संकट के बादल छा जाएंगे। विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा से वंचित भी रहना पड़ सकता है।
अब तक मिला है एक माह का वेतन
सितंबर 2013 से पढ़ा रहे कम्प्यूटर शिक्षकों में ट्रांसलाइन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधीन नियुक्त 1090 शिक्षकों को अब तक मात्र एक महीने का वेतन मिला है। वहीं श्रीराम न्यू हॉरिजोन लिमिटेड और भूपेंद्रा सोसायटी के अधीन नियुक्त 1532 शिक्षकों को चार माह का वेतन मिल सका है।                                                      dj

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