.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Tuesday, 8 April 2014

दाखिलों के मौसम में कैसा फसली अवकाश

खूब प्रचार हुआ। बैनर लगाए गए। रैलियां निकाली गई। पर्चे बांटे गए और बड़े -बड़े विज्ञापनों से अखबारों के पन्ने रंग दिए गए, लेकिन जब एडमिशन का वक्त आया तो सरकारी स्कूल छुट्टी करके बैठ गए। दाखिलों के मौसम में की गई इन बेमौसमी छुट्टियों को फसली अवकाश का नाम दे दिया गया। वह भी तब जब कि अभी फसल कटनी शुरू नहीं हुई है। बल्कि यूं कहें कि अभी पूरी तरह पकी भी नहीं है। अब हालत ये है कि सरकारी आदेशों से बंधे सरकारी स्कूल प्रवेश उत्सव की कवायद बीच में छोड़कर छुट्टियों पर चले गए हैं और निजी स्कूल मजे से दाखिलों की फसल काट रहे हैं।
हर साल होने वाले फसली अवकाश की अव्यवहारिकता को लेकर सवाल तो बड़े लंबे समय से उठते रहे हैं, लेकिन इस बार सरकार भी मान गई थी कि दाखिलों के लिए अहम माने जाने वाले इस समय में छुट्टियां नहीं की जाएंगी। सरकार ने इसके लिये बच्चों में बांटे जाने वाले शिक्षा सेतु नाम के कैलेंडर कम रिपोर्ट कार्ड में इन छुट्टियों को काटकर जून महीने में होने वाली छुट्टियों को 22 मई से शुरू करने का कार्यक्रम जारी किया था। फिर पता नहीं क्या हुआ कि शिक्षा सेतु में दर्ज स्कूल का कैलेंडर धरा धराया रह गया और शिक्षा विभाग ने 5 से 14 अप्रैल तक की छुट्टियां घोषित कर दी।
सरकारी आदेश हैं, इसलिए सरकारी स्कूल तो तुरंत बंद कर दिए गए हैं , लेकिन तकरीबन सारे निजी स्कूल धड़ल्ले से खुल रहे हैं। इस संबंध में जब निजी स्कूल संचालकों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि निजी स्कूलों में अकसर साधन संपन्न लोग ही अपने बच्चों को दाखिल करवाते हैं। इन लोगों के बच्चे कौनसी फसल के कटान में जाते हैं इसलिए निजी स्कूलों के लिए तो ये आदेश कोई मायने ही नहीं रखते।  अध्यापकों का कहना है कि कोई दौर था जब फसल काटने का काम हाथों से होता था और किसानों तथा मजदूरों के सारे के सारे परिवार फसल की कटाई में किसी न किसी रूप से शामिल हो जाते थे। अब समय बदल गया है। महीनों चलने वाली कटाई कंबाइन से चंद घंटों में निपट जाती है और तूड़ी बनाने पर लगने वाला समय भी इन्हीं घंटों में सिमट गया है। इसलिए फसली अवकाश की अब कोई जरूरत ही नहीं रह गई है।
सरकार की साजिश: अध्यापक संघ
हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि स्कूलों में ज्यादा छुट्टियां होने का कुप्रभाव पढ़ाई और दाखिले दोनों पर पड़ता है इसलिए इस तरह की गैर जरूरी छुट्टियों से बचा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में अध्यापक संघ अनेकों बार शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से मिलकर तमाम स्थितियों से परिचित करवा चुका है, लेकिन फिर भी अधिकारी बार बार उन्हीं गलत परंपराओं को निभाए चले जा रहे हैं जिनके कारण सरकारी स्कूलों के स्तर नीचा हुआ है। शर्मा ने कहा कि पूरे अध्यापक समाज को लगता है कि सरकार जानबूझकर सरकारी स्कूलों को बदनाम करना चाहती है, ताकि कल को पढ़ाई ना होने के बहाने बनाकर इन स्कूलों को बंद कर दिया जाए और शिक्षा की बागडोर प्राइवेट हाथों में सौंप दी जाए।                                                                   dtgulchka

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.