** प्रवेश परीक्षा के बाद दाखिलों के समय खंगाले जाएंगे बच्चों के रिकॉर्ड
नई दिल्ली : राजधानी के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों (आरपीवीवी) में फर्जी दस्तावेज के आधार पर दाखिला कराने की सोच रहे हैं तो जरा संभल जाएं। बगैर सरकारी स्कूल में पढ़े और झूठे दस्तावेज के आधार पर इन स्कूलों में दाखिला लेना महंगा पड़ सकता है। ऐसे मामले सामने आने पर स्कूल बिना सूचना के दाखिला रद्द कर देंगे।
उल्लेखनीय है कि आरपीवीवी में छठी में दाखिले के लिए छात्र का कम से कम दो साल तक एमसीडी, एनडीएमसी, सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त या दिल्ली छावनी बोर्ड के स्कूल में पढ़ा होना अनिवार्य है।
शिक्षा निदेशालय ने 17 आरपीवीवी के प्रिंसिपलों को निर्देशित किया है कि दाखिले के समय वह इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के रिकॉर्ड की जांच करें।
निदेशालय ने कहा है कि जिस स्कूल में बच्चे ने पांचवीं तक पढ़ाई की है, वहां से प्रमाणिकता जांची जाए। इसके लिए बच्चे का सत्यापन छह बिंदुओं पर किया जाए। इनमें हाजिरी का रिकॉर्ड, टेस्ट रिकॉर्ड, स्कूल की गतिविधियों में भाग लेने, आवासीय पता, कक्षा पांच की समेटिव एग्जाम-2 की उत्तर पुस्तिका और इससे संबंधित अन्य रिकॉर्ड की जांच शामिल होगी।
गौरतलब है कि राजधानी में आरपीवीवी स्कूल केंद्रीय विद्यालयों की तरह ही होते हैं। अच्छे स्कूल में पढ़ाने की चाह में अभिभावक अक्सर बच्चे को प्रवेश परीक्षा में बैठा देते हैं। इसके साथ ही फर्जी दस्तावेज दिखा देते हैं, जिससे बच्चे का दाखिला हो जाए। निदेशालय चाहता है कि सही बच्चे को दाखिला का लाभ मिले। au
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