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Saturday, 19 April 2014

रेशनेलाइजेशन ने बढ़ाई शिक्षकों की धड़कनें

झज्जर : पन्द्रह अप्रैल को समाप्त हुए फसली अवकाश के साथ ही रेशनलाइज़ेशन होने की आशंका के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की धड़कनें तेज हो गयी हैं। सभी  स्कूल प्रमुखों से 17 अप्रैल तक उनके यहां 30 सितंबर, 2013 को आधार मानकर विद्यार्थी संख्या मांगी गयी हैं। इसे ‘अरजेंट बेस’ पर मांगे जाने के साथ ही शिक्षकों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
सरकार चुनाव के तुरंत बाद फिर से इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की निकटता का अंदाजा सभी को है। अब फिर से स्कूलों को एक प्रपत्र दिया गया है जिसमें उन्हें विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार शिक्षकों के बारे में जानकारी देनी है। इस प्रपत्र के जारी होने के साथ ही फिर से यह चर्चा जोर पकड़ गई है कि सरकार अब तो रेशनेलाइजेश करेगी। प्रपत्र में स्कूलों से अरजेंट बेस पर विद्यार्थियों की संख्या मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग गुणात्मक सुधार के लिए थ्री टायर सिस्टम लागू करना चाहता है। इसी सिस्टम के तहत प्रदेश में नौंवी से बारहवीं, छठी से आठवीं तथा प्राइमरी लेवल का सिस्टम काम करेगा। फिर विभाग ने शिक्षकों के विरोध के चलते 8वीं तक के तथा 9 से बाहर तक के स्कूलों को अलग करने की कवायद की है। इस सारी कवायद का आधार भी रेशनेलाइजेशन पर टिका है और इसी सिस्टम के तहत ही शिक्षकों की अदला-बदली होनी है।
क्या है रेशनेलाइजेशन
दरअसल विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति होती है। जेबीटी, मास्टर और प्राध्यापक वर्ग में विद्यार्थियों की अलग संख्या के अनुसार शिक्षकोंकी स्कूलों में पोस्ट तय की जाती हैं। प्रदेश में ऐसे अनगिनत स्कूल हैं जहां विद्यार्थी तो कम हैं और उसके अनुपात में शिक्षक ज्यादा नियुक्त हैं। ऐसे ज्यादा शिक्षकों को वहां भेजा जाना है जहां विद्यार्थी अधिक हैं और शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में उन विद्यार्थियों का नुकसान होता है, जो पढऩा चाहते हैं।  सरकार यह कसरत करना चाहती है कि ऐसे स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध कराए जायें, ताकि विद्यार्थी शिक्षक अनुपात सही हो सके। मगर  बहुत सारे लोग उन स्टेशनों से उठना नहीं चाहते जो उनके लिए व्यक्तिगत तौर पर सुविधाजनक हैं।                                          dt

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