चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार की ओर से कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से घटाकर 58 साल किए जाने से कर्मचारी ही नाराज नहीं है, यह फैसला सरकार के लिए मुश्किल भरा है। प्रदेश में अगले दो साल में करीब 42 हजार कर्मचारी रिटायर्ड हो जाएंगे। ऐसे कर्मचारियों को रिटायरमेंट बेनिफिटिस के रुप में किए जाने वाले भुगतान के लिए सरकार को 1400 करोड़ रुपये की जरुरत होगी। गत 30 नवंबर को ही 5000 कर्मचारी रिटायर्ड हुए हैं, जिन्हें रिटायरमेंट बेनिफिटिस के तौर पर 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है। इस तरह प्रदेश सरकार के कार्यालयों में कर्मचारियों की भारी कमी होने के साथ ही सरकारी खजाने भी कुछ हलका करना पड़ा है। अब नई भरती पर जो खर्च आएगा, वह अलग है।
हुड्डा सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 58 से बढ़ाकर 60 साल कर दी थी। अब नई सरकार आते ही इस उम्र सीमा को फिर से 58 साल कर दिया गया है। हालांकि सरकार ने चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के लिए रिटायरमेंट उम्र में बदलाव नहीं किया गया है। हरियाणा में इस समय तीन लाख सरकारी कर्मचारी विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं जबकि एक लाख से अधिक पद ऐसे हैं जो इस समय खाली हैं और इन पर भरती की जानी है। हरियाणा सरकार ने आयु सीमा घटाने के लिए तर्क यह दिया है कि इससे बेरोजगार युवकों को नौकरी के अवसर मिलेंगे।
"काफी सोच समझकर कर्मचारियों की मांग पर रिटायरमेंट उम्र 58 से 60 साल की गई थी। केंद्र और पंजाब में रिटायरमेंट की उम्र 60 साल ही है। फिर से रिटायरमेंट की उम्र घटाना कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है। पंजाब की तर्ज पर वेतनमान भी नहीं बढ़ाया गया है हालांकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है।-"--भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री।
"मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रिटायरमेंट की उम्र कम करते हए दावा किया था कि इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द भर्तियां शुरू कर देनी चाहिए। लेकिन सरकार को पंजाब की तर्ज पर मिलने वाले वेतनमान के फैसले को नहीं पलटना चाहिए था।"--हरी नारायण शर्मा, अध्यक्ष, आल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन। au
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