नई दिल्ली : राजधानी में आए दिन स्कूलों में बच्चों से छेड़छाड़ और दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन कई निजी व सरकारी स्कूलों को बाल अधिकार के बारे में और उनसे किए जा रहे व्यवहार के बारे में पता नहीं है। यही नहीं, कई बार बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करते हुए उनके नाम व जानकारियां भी सार्वजनिक कर दी जाती हैं। इन घटनाओं के मद्देनजर दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों को पत्र लिखकर उनको बाल अधिकार के नियमों की जानकारी दे रहा है। यही नहीं उनको बाल अधिकार से संबंधित एक पुस्तिका भी दी जा रही है, जिससे स्कूल और अन्य संस्थाएं जान सकें कि उनके यहां पढ़ने वाले बच्चों के क्या अधिकार हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि स्कूल में शिक्षकों ने बच्चों की पिटाई की है और गालियां दी है या बिना वजह नाम काट दिया गया है। यह सभी बातें बाल अधिकार के खिलाफ हैं।
"स्कूल बच्चों के अधिकार को लेकर गंभीर नहीं है, जबकि उप राज्यपाल का यह स्पष्ट निर्देश है कि स्कूल और अन्य संस्थाएं बाल अधिकार को लेकर सजग रहे। हम संस्थाओं को बताने के लिए पत्र लिख रहे हैं और बाल अधिकार से जुड़ी पुस्तिका भी दे रहे हैं।"-- अरुण माथुर, चेयरमैन, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग
"बच्चों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करने के लिए बच्चों के बीच ही लीगल लिटरेसी क्लब सभी सरकारी स्कूलों में बनाए गए हैं, जिसमें वह अपनी बात रख सकते हैं और अन्य लोगों को भी अपने अधिकारों के बारे में जानकारी दे सकते हैं।"-- पद्मिनी सिंगला, शिक्षा निदेशक, दिल्ली
"यदि बाल अधिकार संरक्षण आयोग स्कूलों में बाल अधिकार से जुड़ी जानकारी दे रहा है तो यह सराहनीय कदम है लेकिन सवाल यह है कि अब तक स्कूलों में जागरूकता क्यों नहीं आई। क्या बच्चों के अधिकार के बारे में शिक्षकों की कोई कार्यशाला होती है। यदि बच्चों के अधिकारों का हनन हो रहा है तो संबंधित विभाग आगे आकर कार्रवाई क्यों नहीं करता है।"-- अशोक अग्रवाल, अध्यक्ष, ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन। dj
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