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Monday, 9 February 2015

पहली से आठवीं के छात्रों को पढ़ाने में रुचि नहीं ले रहे शिक्षक

** मौलिक शिक्षा विभाग के अफसरों के निरीक्षण में खुली पोल
** परेशान कर रही अच्छे नतीजे न आने की चिंता
चंडीगढ़ : हरियाणा के मौलिक स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर शिक्षक मात्र खानापूर्ति कर रहे हैं। अपवाद के तौर पर कुछ शिक्षकों को छोड़ दिया जाए तो हालात बदतर हैं। शिक्षकों के गहनता से पढ़ाई न कराने पर छात्रों के सीखने का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख किया है।
छात्रों को पढ़ाने में शिक्षकों की हीलाहवाली शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के औचक निरीक्षण में सामने आ चुकी है। विभाग के उप निदेशक, संयुक्त निदेशक, मौलिक शिक्षा महानिदेशक व स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता के निरीक्षण के दौरान अधिकांश स्कूलों में स्थिति संतोषजनक नहीं मिली है।
कहीं स्कूलों में अध्यापक नहीं मिले। जहां मिले भी, वहां पढ़ाई उच्च दर्जे की नहीं हो रही। पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा के बंद होने के बाद से ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर नीचे गिरने की लगातार शिकायतें आ रही थीं। लेकिन, हालात इतने बिगड़ चुके हैं, इसकी वास्तविक स्थिति उच्च अधिकारियों को छापामारी के दौरान पता चली है। जिला शिक्षा अधिकारी एवं मौलिक शिक्षा अधिकारी अब भी वास्तविकता पर पर्दा डालने में लगे हैं। विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता ने जब इन्हें तलब किया तो अधिकारियों ने शिक्षकों का बचाव करते हुए शिक्षा का स्तर गिरने के लिए नो डिटेंशन पालिसी (कोई फेल नहीं) और शिक्षा का अधिकार कानून को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। जिला शिक्षा अधिकारियों का मानना है कि छात्रों के शिक्षा स्तर का निरंतर मूल्यांकन न होने के कारण भी हालत पतली हुई है। फेल होने का डर छात्रों के मन में न होने से बच्चे शिक्षा के प्रति लापरवाह हुए हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जारी की हिदायतें : 
अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता ने इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह पूरी ईमानदारी से करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस संबंध में जिला शिक्षा एवं मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखे हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं के खत्म होने का मतलब ये नहीं कि छात्रों को पूरी लग्न के साथ पढ़ाया ही न जाए। स्कूलों में मासिक मूल्यांकन परीक्षाएं शुरू की जा चुकी हैं। इसमें शिक्षक अपना पूरा योगदान दें। खराब रिजल्ट वाले स्कूलों के शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भविष्य में पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं फिर से शुरू हो सकती हैं, चूंकि अधिकतर राज्य नो डिटेंशन पालिसी के विरोध में है। इसलिए शिक्षक अपना पूरा सहयोग देते हुए शिक्षा के उच्च मानदंडों को बनाए रखें।                                         dj

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