चंडीगढ़ : हरियाणा के कर्मचारियों की वेतन एवं ग्रेड-पे विसंगतियां दूर करने के लिए बनाए गए आयोग ने काम शुरू कर दिया है। हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बना यह आयोग अभी तक अपने भविष्य को लेकर चिंतित था, लेकिन मनोहर सरकार द्वारा आयोग में सचिव नियुक्त कर दिए जाने के बाद इसकी कार्य प्रणाली आगे तक बढ़ने की आस जग गई है। अब पूरा दारोमदार सरकार के विस्तार पर टिका है।
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव जी माधवन के नेतृत्व वाले वेतन विसंगति आयोग को अभी तक आधा दर्जन कर्मचारी संगठनों ने ही अपने सुझाव दे दिए हैं, लेकिन कर्मचारियों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा को अभी तक बातचीत के लिए आयोग ने नहीं बुलाया है। पिछड़ी हुड्डा सरकार में सितंबर में वेतन विसंगति आयोग का गठन हुआ था और इसका कार्यकाल छह माह के लिए निर्धारित किया गया। आयोग के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं था, जिस कारण कयास लगाए जा रहे थे कि नई मनोहर सरकार आयोग को भंग कर सकती है। वित्त विभाग के संयुक्त सचिव विवेक पदम सिंह को दो फरवरी को राज्य सरकार ने आयोग का सचिव नियुक्त कर दिया है। यह नियुक्ति सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की मुख्यमंत्री मनोहर लाल से हुई मुलाकात के बाद की गई है, जिससे माना जा रहा है कि सरकार हरियाणा और पंजाब के कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों का अध्ययन कराने की इच्छुक है। फरवरी में आयोग का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। ऐसे में इस आयोग को एक्सटेंशन दी जा सकती है।
प्रदेश में करीब 50 हजार पुलिस कर्मियों समेत लगभग ढ़ाई लाख कर्मचारी हैं, जो पिछले पांच सालों से पंजाब के समान वेतन की मांग करते आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने 1 नवंबर 2014 से इस मांग को मंजूर भी कर लिया था, लेकिन मनोहर सरकार ने हुड्डा के फैसले को समीक्षा सूची में डाल दिया, जिस कारण मामला लटक गया है। सर्व कर्मचारी संघ के कड़े रुख के बाद मुख्यमंत्री से जो मीटिंग हुई, उसमें फिर पंजाब के समान वेतनमान देने के साथ ही हरियाणा का अलग वेतन आयोग गठित करने की मांग उठी। कर्मचारी संगठनों की दलील है कि केंद्र सरकार के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें आने वाली हैं।
इन सिफारिशों को लागू करने की बजाय हरियाणा सरकार अपना अलग वेतन आयोग बनाए और कर्मचारियों की तमाम विसंगितयां दूर करते हुए उन्हें लाभान्वित करे। सलाह दी गई है कि वह अपनी रिपोर्ट पेश करने से पहले राज्य के प्रमुख कर्मचारी संगठनों से भी बातचीत करें और जरूरत पड़े तो आसपास के अन्य राज्यों के वेतन ढांचे का भी अध्ययन करते हुए समग्र रिपोर्ट दें। वहीं, सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि अभी तक आयोग ने हमें किसी तरह की बातचीत या सुझाव के लिए नहीं बुलाया है। आयोग को बने पांच माह हो गए। आयोग को तेजी से काम आगे बढ़ाते हुए कर्मचारी संगठनों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए।
‘सरकार कर्मचारियों के हित में’
प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का कहना है कि हम कर्मचारियों के हित में हैं। हमने जो वादे किए थे, उन पर खरा उतरने का हमारा एजेंडा है। हमने आयोग बना दिया है। सभी से बातचीत की प्रक्रिया मुख्यमंत्री शुरू कर चुके हैं। dj
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