चंडीगढ़ : प्रदेश में उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के अंतर्गत चल रहे मिडिल स्कूलों (अंडर कांप्लेक्स) के मुख्याध्यापकों को आहरण एवं वितरण शक्तियां (डीडीओ पावर) मिलने का रास्ता साफ हो गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वेदप्रकाश एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए कानून के अनुसार मामले को गंभीरता से निपटाने की बात कही है।
पंजाब वित्त नियमों में मिडिल स्कूल मुख्याध्यापकों के लिए द्वितीय श्रेणी के दर्जे और डीडीओ पावर देने का प्रावधान है। बीते वर्ष अप्रैल महीने में सरकार के वित्त विभाग ने स्कूल शिक्षा विभाग को मिडिल हेड को वित्तीय एवं कार्य शक्तियां प्रदान करने के लिए परिपत्र जारी किया था। विभाग ने स्वतंत्र प्रभार वाले लगभग 26 सौ मिडिल स्कूलों के मुख्याध्यापकों को तो डीडीओ पावर दे दी, लेकिन अंडर कांप्लेक्स स्कूलों के मुख्याध्यापकों को इससे वंचित रखा। मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों ने कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों को नियमों की दुहाई भी दी, मगर डीडीओ पावर नहीं मिल पाई। आखिरकार बीते वर्ष 14 सितंबर को वेदप्रकाश एवं अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसी का निपटारा करते हुए जस्टिस टीएस ढींडसा ने सरकार को नियम व कानून अनुसार मुख्याध्यापकों के क्लेम पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रधान रमेश मलिक ने बताया कि मुख्याध्यापकों के लिए यह बड़ी जीत है। उन्हें न तो आहरण एवं वितरण शक्तियां दी गई हैं, न ही कार्य क्षेत्र के बारे में बताया गया है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सरकार ढुलमुल रवैया नहीं अपना सकती। डीडीओ पावर मिलने पर वे शिक्षकों के वेतन का चेक जारी कर सकेंगे। निर्माण के लिए आई ग्रांट खर्च करने का भी अधिकार होगा। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के संयोजक भी वही होंगे। dj
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