** कुकिंग कॉस्ट कम करने के चक्कर में अध्यापक नहीं मंगवाते राशन, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की चेकिंग के दौरान हुआ खुलासा
कैथल : जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की लापरवाही के कारण बच्चों को मिड-डे मील का आधा खाना ही मिल रहा है। बच्चों को भूखे पेट ही सारा दिन स्कूल में पढ़ना पड़ता है। कुछ मिड डे मील इंचार्ज कुकिंग कोस्ट कम के लिए राशन के लिए आर्डर ही नहीं करते। यह खुलासा जिला शिक्षा अधिकारियों के औचक निरीक्षण से हुआ।
बच्चों के सर्वांगिण विकास के लिए दिए जा रहे मिड डे मील को स्कूल टीचर कुकिंग कोस्ट कम करने के लिए बीईओ को आर्डर की सूची नहीं भेजते। सूची मिलने के कारण बीईओ भी अपने स्तर पर बच्चों की संख्या के आधार पर राशन मंगवा देते हैं। हर तीन माह में एक बार ही स्कूल में राशन पहुंचता है। राशन मंगवाने के लिए देर से आर्डर करने पर राशन भी देर से ही स्कूल में पहुंचता है। अध्यापक चालाकी से रजिस्टर में तो राशन पूरा दिखा देते हैं, लेकिन बच्चों के लिए कम मात्रा में अपर्याप्त राशन तैयार करवाते हैं। कुकिंग कोस्ट के तहत दुकान से मंगवाने वाले सामान को अनदेखा कर दिया जाता है। शिक्षा अधिकारियों की जांच के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां बच्चों को जला हुआ भोजन भी करना पड़ता रहा है। कुछ बच्चे तो मिड डे मील से वंचित भी रह जाते हैं।
बच्चे को सही मात्रा में देना होता है मिड डे मील :
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को सही मात्रा में मिड डे मील उपलब्ध कराना होता है। पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों के सर्वांगिण विकास के लिए मिड डे मील की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की संख्या के अनुसार ही प्रतिदिन मिड डे मील तैयार किया जाता है। मिड डे मील तैयार करते समय इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि मिड डे मील कम पड़े।
मिड-डे मील में गड़बड़ी करने वाले स्कूल टीचर की पहचान कर करेंगे कार्रवाई :
डिप्टी डीईओ शमशेर सिंह सिरोही ने कहा कि सभी स्कूलों को मिड डे मील के अलावा कुकिंग कोस्ट भी उपलब्ध कराई जाती है। कुछ स्कूल अध्यापक इस खर्च को अपने स्तर पर कम कर लेते हैं। ऐसे में बच्चों को पर्याप्त मिड-डे मील नहीं मिल पाता। चेकिंग के दौरान मिड-डे मील को विशेष तौर पर चेक किया जाता है। मिड-डे मील इंचार्ज से जबाव भी मांगा जा रहा है। मिड-डे मील में गड़बड़ी करने वाले स्कूल टीचर की पहचान करके जल्द कार्रवाई की जाएगी। db
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