सोनीपत : शिक्षण महाविद्यालय चलाने एवं उनमें शिक्षा ग्रहण कर शिक्षक बनने के सपने को पूरा करने की हसरत रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अब हालात मुश्किल होने जा रहे हैं। जहां राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई ) ने दाखिला संख्या घटाकर महज 100 तक करने का फैसला किया है तो वहीं अब कॉमर्स एवं आईटी क्षेत्र के लिए बीएड करने की संभावना ही खत्म कर दी गई है। नए सत्र से बीकॉम कर बीएड करने वाले विद्यार्थियों को शिक्षण महाविद्यालय में दाखिला नहीं मिलेगा।
ड्रामा एवं डांस के लिए नियुक्ति जरूरी :
एनसीटीई द्वारा जारी गाइड लाइन में एक कमाल का फैसला ड्रामा और डांस के लिए नियुक्ति जरूरी करने का भी है। जिसके तहत अब महाविद्यालय में डांस और ड्रामा की ट्रेनिंग के लिए टीचर की नियुक्ति जरूरी की गई है। प्रिंसिपल वर्ग अब परेशान है कि अभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सिलसिले जहां एक-दो पीरियड निकालने मुश्किल होते हैं तो अब सप्ताह में 24 पीरियड कैसे निकाले जाएंगे।
एनसीटीई द्वारा जारी गाइड लाइन में एक कमाल का फैसला ड्रामा और डांस के लिए नियुक्ति जरूरी करने का भी है। जिसके तहत अब महाविद्यालय में डांस और ड्रामा की ट्रेनिंग के लिए टीचर की नियुक्ति जरूरी की गई है। प्रिंसिपल वर्ग अब परेशान है कि अभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सिलसिले जहां एक-दो पीरियड निकालने मुश्किल होते हैं तो अब सप्ताह में 24 पीरियड कैसे निकाले जाएंगे।
सीटें घटने से कॉलेजों की हालत हो जाएगी खराब :
सोनीपत जिले में 20 शिक्षण महाविद्यालय हैं, जिनमें अधिकांश कॉलेजों में सौ से अधिक दाखिला है। इसमें राठधना रोड स्थित एक महाविद्यालय में तो करीब तीन सौ विद्यार्थी हैं। ऐसे में दाखिला संख्या महज दो यूनिट 50-50 की तक सीमित रखी तो कॉलेजों का बजट बिगड़ना तय है। उस पर कम संख्या होने पर आठ टीचरों की नियुक्ति का क्या होगा यह भी समझा जा सकता है।
सोनीपत जिले में 20 शिक्षण महाविद्यालय हैं, जिनमें अधिकांश कॉलेजों में सौ से अधिक दाखिला है। इसमें राठधना रोड स्थित एक महाविद्यालय में तो करीब तीन सौ विद्यार्थी हैं। ऐसे में दाखिला संख्या महज दो यूनिट 50-50 की तक सीमित रखी तो कॉलेजों का बजट बिगड़ना तय है। उस पर कम संख्या होने पर आठ टीचरों की नियुक्ति का क्या होगा यह भी समझा जा सकता है।
अभी 20 दिन की आगे होगी 240 दिन की टीचिंग :
बीएड के दो वर्षीय कोर्स में स्टूडेंट के पास एक्स स्टूडेंट के रूप में सिर्फ एक मौका होगा। पहले एक वर्षीय पाठ्यक्रम में दो मौके होते थे। स्टूडेंट के लिए चार माह की टीचिंग 90 फीसदी अटेंडेंस अनिवार्य होगी। स्टूडेंट को तय समय में परीक्षा पास करनी होगी। यदि वे पास होने में असफल होते हैं तो उन्हें प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में सिर्फ एक मौका मिलेगा। यहां यूनिवर्सिटी एससीईआरटी भले ही ढिलाई कर दें, लेकिन अब एनसीटीई ढिलाई नहीं करेगी।
"एनसीटीई की नई गाइड लाइन से शिक्षण महाविद्यालयों को राहत मिलने के बजाए उनकी परेशानी बढ़ी है। कोर्स बंद करने के साथ सीटें भी सीमित कर दीं। अभी विद्यार्थियों को 20 दिन का स्टायफंड मिलता नहीं अब चार महीने की टीचिंग अनिवार्य की है। इन मुद्दों को लेकर महाविद्यालयों में बातचीत जारी है। जल्द ही सीएम और शिक्षा मंत्री से मिलकर अपनी समस्या बताई जाएगी।''-- डॉ. रेणुगुप्ता, प्रिंसिपल, हिंदू शिक्षण महाविद्यालय, सोनीपत।
एनसीटीई ने कुछ इस प्रकार किए हैं बदलाव
- दो वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रति इकाई 50 स्टूडेंट को मिलेगा एडमिशन।
- 90 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य।
- टीचिंग में 13 के स्टाफ के अलावा तीन अन्य सपोर्टिंग स्टाफ जरूरी।
- डिजिटल संसाधनों जैसे इंटरनेट, स्मार्ट इंडोर कोर्ट के साथ विशेष पाठ्यक्रमों पर जोर।
- स्कूलों में लगातार 20 सप्ताह की इंटर्नशिप।
- बीएड कॉलेजों में हर हफ्ते 36 घंटे होगा काम।
- छात्र अध्यापकों की शिकायत सुनने के लिए नियुक्त होगा अधिकारी।
- दो वर्षीय कोर्स के लिए फीस तय होगी।
- अध्यापक नियुक्त करने के लिए कड़े मापदंड, अब विषयों में हो पीएचडी। db
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