फतेहाबाद : सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता को परखने के लिए शिक्षा विभाग ने कुछ और सख्ती कर दी है। विभाग के इस नए फरमान से स्कूल मुखियाओं को डीईओ के पास रोजाना रिपोर्ट भेजनी होगी।
इतना ही नहीं हफ्ते में दो बार तैयार किए हुए मिड-डे मील की फोटो भी भेजनी होगी। इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय पंचकूला द्वारा जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए है। सरकारी स्कूलों में प्हली से आठवीं कक्षा तक मिड-डे मील योजना बीते डेढ़ दशक से जारी है। इस योजना में प्रतिदिन अलग अलग व्यंजन विद्यार्थिर्यो को परोसे जाते हैं।
लेकिन पिछले कुछ बरसों में विद्यार्थियों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता के बारे में काफी शिकायतें उजागर हुई। मिड-डे मील के रॉ मेटिरियल में कीड़े और घुन लगी पाई गई और उस खाने को खाकर कुछ स्कूलों के बच्चे बीमार भी हुए थे। अधिकांश सरकारी स्कूलों में बच्चों को फर्श पर ही मिड-डे मील परोसा जाता है। इन सब शिकायतों के मद्देनजर विभाग ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
लेकिन अधिकांश स्कूलों में नहीं इंटरनेट
शिक्षा विभाग के नए फरमान से ज्यादातर स्कूल मुखिया सांसत में है। अधिकांश राजकीय प्राथमिक स्कूल मिडिल स्कूलों में इंटरनेट सुविधा मुहैया नहीं है। वहीं दूसरी ओर विभाग के संबंधित अधिकारियों को नियमित रूप से फोटो भेजना आवश्यक होगा, जबकि विभाग द्वारा अभी तक इस संबंध में कोई बजट भी निर्धारित नहीं किया है। मुखियाओं के समक्ष परेशानी यह है कि फोटो क्लिक मेल का खर्च जेब से वहन करना पड़ेगा। जो स्कूल मुखियाओं के लिए मुश्किल ही नहीं नामुनकिन भी नजर रहा है
शिक्षा निदेशालय से पत्र आया है
"मिड-डे मील की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए शिक्षा िनदेशालय से पत्र आया है। उस पत्र की प्रतियां सभी सरकारी स्कूलों के मुखियाओं के पास पहुंचा दी गई है। मिड-डे मील की रिपोर्ट रोजाना डीईओ के पास स्कूल मुखियाओं को भेजनी होगी। इसके अलावा हफ्ते में दो बार मिड-डे मील का फोटो भी भेजना होगा।'' -- डॉ.यज्ञदत्त वर्मा, डीईआे, फतेहाबाद db
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