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Saturday, 19 April 2014

कंप्यूटर शिक्षक घोटाला : विभाग ने जारी की तनख्वाह, कम्पनी ने रोक ली

** 6 माह की तनख्वाह का हो चुका भुगतान, कंपनी अफसरों से मिलकर बदला विभाग का रवैया 
कंप्यूटर शिक्षकों की तनख्वाह को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। शिक्षकों की तनख्वाह शिक्षा विभाग की ओर से तो जारी कर दी गई है, लेकिन कंपनियां सिक्योरिटी राशि के चक्कर में तनख्वाह को दबाए बैठी हैं। खुद विभाग के अधिकारी इस बात को बता रहे हैं लेकिन कंपनियों से तनख्वाह नहीं दिलवा पा रहे। 
प्रदेश में लगाए गए 2622 कंप्यूटर शिक्षक अपनी नियुक्ति के बाद से ही तनख्वाह के मोहताज हो गए हैं। अगस्त 2013 में इन शिक्षकों को नियुक्ति दी गई थी लेकिन इसके बाद से ही फरवरी तक उन्हें तनख्वाह नहीं दी गई। इस बीच एक बड़ा खुलासा यह हुआ कि कंपनियों ने शिक्षकों को लगाने के नाम पर 8 से 24 हजार रुपए तक की सिक्योरिटी पहले ही वसूल कर ली। शिक्षकों को तनख्वाह नहीं मिली तो वे आंदोलन पर उतर आए। 
अगस्त से लेकर अब तक शिक्षकों की नौकरी को करीब आठ माह बीत चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी अभी महज दो माह का वेतन ही हाथ आया है। अब हाल ही में सेकेंडरी शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से शिक्षकों का छह माह का वेतन कई दिन पहले ही जारी किया जा चुका हैं। अब बड़ा सवाल यही है कि जब विभाग वेतन जारी कर चुका है तो आखिरकार कंपनियां शिक्षकों को उनका वेतन क्यों नहीं दे रही। कंपनियां अवैध सिक्योरिटी वसूलने के लिए शिक्षकों को वेतन जारी नहीं कर रही और विभाग भी कोई कदम नहीं उठा रहा। 
कंप्यूटर शिक्षकों को नौकरी देने के लिए तीन निजी कंपनियों ने 24 हजार रुपए की सिक्योरिटी ली। कुछ शिक्षकों से जहां ज्वाइनिंग के साथ ही पूरी रकम ले ली गई, वहीं कुछेक से पहली किश्त के रूप में 8 हजार लिए गए। कंप्यूटर शिक्षकों ने सिक्योरिटी राशि लेने के संबंध में जब निदेशक सेकेंडरी शिक्षा विभाग में आरटीआई लगाई तो मामले का पूरा खुलासा हो गया। विभाग ने आरटीआई के तहत दी अपनी जानकारी में साफ तौर पर बताया था कि उन्होंने कंपनी को सिक्योरिटी राशि लेने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किए गए तथा कंपनी ने जो राशि ली वह पूरी तरह से अवैध है। कंपनी कंप्यूटर शिक्षकों से करोड़ों रुपए की राशि वसूल चुकी हैं। 
सीधी बात : सुमेधा कटारिया, सहायक निदेशक, सेकेंडरी एजूकेशन 
कंप्यूटर शिक्षकों को वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा? 
शिक्षा विभाग कंपनियों के खाते में वेतन डाल चुका है। वेतन का भुगतान अब कंपनियों को ही करना है। 
कंपनियां तो अवैध सिक्योरिटी वसूलने के लिए दबाव डाल रही हैं?
सिक्योरिटी का मैटर कंपनियों का ही है। शिक्षक हमारे अधीन नहीं कंपनी के ही अधीन हैं। 
विभाग ने ही पहले सिक्योरिटी को अवैध बताया था?
सिक्योरिटी वसूलने को लेकर कंपनियां अपना जवाब लिखित में विभाग को देंगी। 
आपने तो जांच भी की थी उसमें क्या निकला?
अब सभी बातें एक साथ नहीं बता सकती। मैं मीटिंग में हूं।                                           dbrwd

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