फतेहाबाद : प्राइवेट स्कूलों में नए एडमिशन के लिए वसूली जा रही मनमानी फीस पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। अभिभावकों की पहुंच से बाहर दिख रही फीस को अब विभाग ने जांच के दायरे में लेने का फैसला किया है। हाल ही में हुई मीटिंग में विभाग ने निर्णय लिया है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस किस आधार पर बढ़ाई गई है इसकी जांच की जाए।
इसके लिए विभाग द्वारा मंडल स्तर पर सीए की नियुक्ति की जा रही है जो कि अपने मंडल में आने वाले जिलों के स्कूलों में पहुंचकर जांच रिपोर्ट तैयार करेगा। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों से विभाग की ओर से फीस बढ़ाने के कारण पूछे गए जिसमें कई स्कूलों ने अपने जवाब में कहा है कि उनके स्कूल में फीस बढ़ी है तो सुविधाएं भी बढ़ी हैं। प्राइवेट स्कूलों का यह तर्क विभाग के गले नहीं उतर रहा है और सुविधा देने के दावे को आधार बनाकर कई तरह के फंड के रूप में अभिभावकों से वसूली जाने की सच्चाई को जमीनी स्तर पर जांचने के लिए स्कूलों में जाकर जांच करवाए जाने का निर्णय लिया। विभाग का कहना है कि यदि स्कूलों के दावों के अनुसार फीस बढ़ाने में कहीं गड़बड़ी मिलती है तो संबंधित स्कूल के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
जिले में 158 स्कूल, सबकी होगी जांच: डीईओ
"जिले मे करीब 158 प्राइवेट स्कूल हैं। इनमें से जिस भी स्कूल ने पिछले सेशन के मुकाबले इस बार अगर फीस बढ़ाई है तो उसकी वजह और तथ्यों की गंभीरता से जांच होगी। विभाग की ओर से नियुक्त मंडलस्तरीय सीए की ओर से रिपोर्ट तैयार होगी। रिपोर्ट में किसी स्कूल की गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई होगी।"--आशा ग्रोवर, डीईओ, फतेहाबाद।
20 फीसदी बढ़ाते हैं फीस, दूसरे चार्जेज भी
प्राइवेट स्कूलों में बोर्ड कक्षाओं को छोड़कर अन्य कक्षाओं के लिए स्कूल फीस में करीब 20 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। इसके अलावा स्कूलों की ओर से कई तरह के फंड के रूप में फीस ली जा रही हैं। इनमें एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज और अन्य सुविधाओं का हवाला दिया गया है। जो निजी स्कूल पिछले 2 हजार रुपये बिल्डिंग चार्ज के लिए लेते थे, उन स्कूलों ने इस बार साढ़े 4 हजार रुपये से लेकर छह हजार रुपये तक कर दिया है। ऐसे में आम आदमी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढऩे में असमर्थता महसूस करने लगा है।
सालाना फीस में बढ़ोतरी
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के महासचिव शैलेन भास्कर कहते हैं कि स्कूलों में कई तरह की सुविधाएं बच्चों को दी जा रही हैं। बच्चों का शिक्षा स्तर सुधारने के प्रयास के रूप में केवल स्कूलों की तरफ से सालाना फीस में बढ़ोतरी की जा रही है। इसके अलावा दूसरे तरह के फंड अगर कई स्कूल ले रहे हैं तो उसकी वजह विभाग और अभिभावकों को बताई जा रही है। db
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