** अब स्कूलों में विद्यार्थियों के अनुपात के हिसाब से ही नियुक्त किए जाएंगे अध्यापक
एक स्कूल में आवश्यकता के अधिक ड्यूटी दे रहे अध्यापकों को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि जल्द ही उनका वैज्ञानिकीकरण होने वाला है। प्रत्येक स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से टीचर को लगाया जाएगा। जहां जरूरत से ज्यादा होंगे, वहां से उन्हें हटाकर जरूरत के स्कूलों में ट्रांसफर किया जाए।
मौलिक शिक्षा विभाग हरियाणा ने पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों का वैज्ञानिकीकरण (रेशनेलाइजेशन)करने का निर्णय लिया है। इसका सबसे पड़ा कारण कई स्कूलों में जरूरत से ज्यादा अध्यापक जमा हुए बैठे हैं तो कई स्कूलों में बच्चे अध्यापकों की कमी झेल रहे हैं। यह स्थिति अध्यापकों के अपने निजी स्वार्थों के कारण हो रही है।
पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले अध्यापकों का वैज्ञानिकीकरण किया जाएगा। जिन स्कूलों में बच्चे कम और टीचर ज्यादा हैं उन्हें दूसरे जरूरत के स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा। इसके लिए 28 मार्च को पंचकूला में मीटिंग बुलाई गई है।
28 मार्च को होगी पंचकूला में मीटिंग
अध्यापकों के वैज्ञानिकीकरण को लेकर प्रदेशभर के शिक्षा अधिकारियों की मीटिंग 28 अप्रैल को पंचकूला में होगी। इस मीटिंग में प्रत्येक स्कूल में बच्चों की संख्या और टीचरों की संख्या को जानकार रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया को अमल में लाया जाएगा।
सभी स्कूलों से मंगवाया डाटा
मौलिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेशभर के पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों का डाटा मंगवाया है। करनाल जिले में मिडल कक्षा तक लगभग एक लाख 18 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं।
सरकारी नियमों के लचीलेपन पर होशियारी
कई स्कूलों में अध्यापक बिना जरूरत के अपने पदों को बनाए रखने की होशियारी रखते हैं। लेकिन यह होशियारी सरकारी नियमों के लचीलेपन पर आधारित होती है। उदाहरण के तौर पर छठी से आठवीं कक्षा तक 45 बच्चों पर एक टीचर लगाया जाता है, लेकिन फिर 46 से 90 तक की संख्या पर दूसरा टीचर लगाया जाता है। इसी क्रम में अध्यापकों की संख्या बढ़ती है, लेकिन अगर 91 बच्चे भी हो गए तो दो टीचर नहीं रहेंगे, बल्कि उस स्कूल में टीचरों की संख्या तीन हो जाएगी। बताया जा रहा है कि अक्सर ऐसा ही हो रहा है। dbkrnl
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