** अध्यापकों ने प्रदर्शन कर कई बार जताया विरोध
प्रदेश सरकार ने पिछले सालों में स्कूल शिक्षा में कई बदलाव किए, जिनमें से आठवीं तक के बच्चों को फेल न करने का फरमान भी दिया था। इसके बाद स्कूलों में बच्चे तो फेल नहीं हुए, लेकिन शिक्षण व्यवस्था जरूर फेल हो गई। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि आज स्कूलों में शिक्षक के इस फरमान का विरोध कर रहे हैं और कई बार तो प्रदर्शन तक कर विरोध दर्ज करा चुके हैं। इसके बाद भी शिक्षा विभाग कई प्रयोग कर चुका है, लेकिन इसमें भले की शिक्षा विभाग का भला हो गया हो, लेकिन विद्यार्थियों और शिक्षा का तो भला कतई नहीं दिख रहा है, वहीं स्कूलों में शिक्षकों की कमी आज भी विभाग के गले की फांस बनी हुई है।
प्रदेश सरकार प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने के दावे तो कर रही है, लेकिन ये दावे कुछ बड़े निजी शिक्षण संस्थानों के खुलने से अधिक नहीं है। जहां तक शिक्षा का सवाल है तो सबसे अधिक बंटाधार स्कूल शिक्षा का हुआ है। शिक्षा विभाग ने पहले आठवीं का बोर्ड तोड़ दिया तो स्कूलों में बच्चों को फेल न करने का फरमान भी दे दिया और दावा किया गया कि बच्चों की परीक्षा नहीं ली जाएगी, बल्कि उनका लेवल जांचा जाएगा। ये दावे भी सभी सच से कोसो दूर दिखे। न तो बच्चों की परीक्षा आयोजित हुई और न ही लेवल जांचा गया, जिससे स्कूलों में बच्चों की संख्या में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
शिक्षकों की भारी कमी
वहीं स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए बच्चों के बाद शिक्षकों की जरूरत को भी शिक्षा विभाग कभी पूरा नहीं कर पाया है। राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष जवाहरलाल गोयल ने बताया कि जिले में आज भी मास्टर वर्ग के 269 पद खाली हैं। कुल 1277 पदों में से 771 नियमित और 237 अतिथि अध्यापक कार्य कर रहे हैं। सीएंडवी में कुल 1640 पदों में से 1138 नियमित शिक्षक और 207 अतिथि अध्यापक कार्य कर रहे हैं, जबकि 295 पद खाली हैं। वहीं प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विनोद चौहान ने बताया कि जिले में इस समय 126 जेबीटी शिक्षकों के पद खाली हैं।
शिक्षकों की कमी कर दी पूरी
इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश में शिक्षकों की संख्या को पूरा करने के लिए नया तरीका निकाला है। जिले में 34 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया। इससे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को जहां दूसरे स्कूलों में जाना पड़ रहा है, वहीं सरकार की शिक्षकों की कमी जरूर कुछ कम हुई है। इन स्कूलों के मर्ज होने का सबसे ज्यादा खामियाजा लड़कियों के स्कूलों को भुगतना पड़ा है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार का कहना है कि पहले भी शिक्षकों की भर्तियां की गई है। अब आचार संहिता लगी है इसके बाद विभाग शिक्षकों की भर्तियां कर रहा है। djkkr
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