** स्कूल से ड्रॉपआउट छात्राओं पर रहेगी विभाग की विशेष नजर, सर्वे किए जाने के दिए निर्देश
सिरसा : राजकीय स्कूलों में ड्रॉप आउट करने वाली छात्राओं पर शिक्षा विभाग की विशेष नजर रहेगी। विभाग के अनुसार सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट आठवीं कक्षा पास करने के बाद और कक्षा नौवीं में दाखिले से पहले होता है। यह स्थिति विशेषकर लड़कियों के साथ अधिक होती है। राजकीय स्कूलों से करीब दो हजार छात्राएं ड्रॉपआउट हो जाती है। शिक्षा विभाग के निदेशक ने ड्रॉप आउट छात्राओं का कारण जानने के लिए निर्देश दिए हैं। इसके लिए ड्रॉपआउट छात्राओं का सर्वे किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का 100 प्रतिशत नामांकन ठहराव एवं उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का अनिवार्य अंग है। विभाग ने विद्यार्थियों को स्कूल से जोडऩे के लिए विशेष अभियान चलाया है। जिससे स्कूल में शतप्रतिशत दाखिला हो सके। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा देने वाले विद्यार्थी 11वीं कक्षा में अस्थाई(प्रोविजनल)दाखिला ले सकते हैं। विद्यार्थी दाखिल लेने के बाद स्कूल में अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे।
विभाग ने सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट आठवीं कक्षा में पढऩे वाली छात्राएं करती है। इसके लिए संभावित ड्रॉप आउट करने वाली छात्राओं की पहचान की जाएगी। इसके बाद शिक्षक छात्राओं के घर जाकर उनके माता पिता से अभिप्रेरित करेंगे। संभावित ड्रॉप आउट करने वाली छात्राओं के माता को पिता शिक्षा का महत्व भी बताया जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि आठवीं कक्षा में ड्रॉप आउट छात्राओं को स्कूल से जोड़ा जाएगा। इसके लिए जो छात्राएं स्कूल ड्रॉप आउट होगी। उनका पहले सर्वे किया जाएगा।
घट रही छात्राओं की स्कूल में संख्या
राजकीय स्कूलों में छात्राओं की संख्या कम हो रही है। इसका कारण स्कूल में छात्राओं का ड्रॉपआउट ज्यादा होना है। वर्ष 2012 2013 में आठवीं कक्षा में छात्राओं की संख्या 7914 थी। जबकि नौंवी कक्षा में 6083 छात्राओं ने दाखिला लिया। वर्ष 2013 2014 में आठवीं कक्षा में 8100 छात्राएं थी। नौवीं कक्षा में 6042 छात्राओं ने दाखिला ले पाई। यानि हर वर्ष करीब 2 हजार छात्राएं स्कूल से ड्रॉपआउट हो रही है। यही हाल दूसरी कक्षा का भी है। db
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