.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Wednesday, 2 April 2014

आखिर कहां जा रहा है कर्मचारियों का पैसा

** केयू में कर्मचारियों को नहीं मिल रहा डीसी रेट पर वेतन 
** ठेके पर लगे कर्मियों को पिछले दो साल से मिल रहा है पुराना वेतन 
** दो से तीन महीने बाद मिलता है वेतन 
कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में ठेके पर लगे कर्मचारियों को डीसी रेट का वेतन भी नसीब नहीं हो रहा है। कर्मचारियों के डीसी रेट पर भी ठेकेदार कैंची चलाते हैं। इनका वेतन दो से तीन महीने तक भी लटकाया जा रहा है, जिसके चलते केयू में ठेके पर लगे एक हजार से अधिक कर्मचारी परेशान हैं। ठेके पर लगे कर्मचारी अपना दुखड़ा एक-दो बार नहीं, बल्कि कई बार केयू प्रशासन और ठेकेदारों के सामने रो चुके हैं। 
इसके बावजूद उन्हें आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। अब तक उन्हें उचित और समय पर वेतन का आश्वासन मिला है, लेकिन इसमें हकीकत का रंग अब तक भी नहीं भर पाया है। दिलचस्प बात तो यह है कि कर्मचारियों को डीसी रेट से दो से चार हजार रुपए तक कम वेतन दिया जा रहा है। ठेके पर लगे कर्मचारियों ने इस पूरे मामले की जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 
दो महीने बाद मिलता है वेतन :
ठेके पर लगे कर्मचारियों ने नाम न छापने पर बताया कि उन्हें ठेकेदार दो से तीन महीने बाद वेतन देते हैं। वेतन पाने के लिए उन्हें ठेकेदार व कर्मचारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसके बाद जाकर उन्हें डीसी रेट से भी कम मिलने वाला वेतन मिल पाता है। कर्मचारियों ने कहा कि वेतन हर महीने मिलने को लेकर वे कई बार आंदोलन कर चुके हैं। इसके बावजूद ठेकेदार समय पर वेतन का भुगतान नहीं करते, जिसका खामियाजा सैकड़ों कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है।
कम वेतन देने की हो जांच 
ठेके पर लगे कर्मचारियों ने कहा कि कम वेतन देने के मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए,ताकि पता चल सके कि जो पैसा कर्मचारियों को मिलना चाहिए था, आखिर वह पैसा कहां जा रहा है। कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि उन्हें डीसी रेट से कम वेतन क्यों दिया जा रहा है। कम वेतन देने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि पिछले दो साल से यही वेतन उन्हें दिया जा रहा है। ठेकेदार का टेंडर आगे बढ़ा दिया जाता है और उन्हें कम वेतन ही मिलता है। 
6655 की बजाय 4100 रुपए मिल रहे 
केयू में ठेके पर लगे कर्मचारी व आरटीआई कार्यकर्ता नवीन ने बताया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए डीसी रेट 6655 रुपए महीना निर्धारित है, जबकि उन्हें महज 4100 रुपए ही दिए जा रहे हैं। वहीं ट्रेसर, टर्नर, सिनेमा ऑपरेटर, स्ट्रीट लाइट इंस्पेक्टर, इलेक्ट्रिशियन और वेल्डर आदि का डीसी रेट 7575 रुपए है, जबकि उन्हें महज 5200 रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर का डीसी रेट 9075 है, जबकि उन्हें मिलते सिर्फ पांच हजार रुपए ही हैं। इसी तरह ठेके पर लगे सभी कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। नवीन ने बताया कि केयू वीसी ने नोटिफिकेशन निकाला था कि एक मार्च 2013 से 28 फरवरी 2014 तक उक्त डीसी रेट दिए जाएंगे, जिसमें प्रतिदिन की दर से डीसी रेट का उल्लेख किया गया है। इसके बावजूद उनका शोषण किया जा रहा है। 
मामले की करेंगे जांच 
केयू वीसी डॉ. डीडीएस संधू ने कहा कि वे इस पूरे मामले की जांच कराएंगे। ठेके पर लगे कर्मचारियों को उनका पूरा वेतन मिलना चाहिए। अगर कोई भी ठेकेदार उनके वेतन में कटौती करता है तो वे इसकी जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे। डॉ. संधू ने कहा कि उनका प्रयास है कि सभी कर्मचारियों को समय पर और पूरा वेतन मिले। इसमें लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।                                                 db 



No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.