** फीस रेगुलेशन कमेटी को सुविधा देने में देरी के कारण चल रहा है अवमानना का केस
चंडीगढ़ : हरियाणा में निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर अंकुश के लिए गठित फीस रेगुलेशन कमेटी को हाईकोर्ट के निर्देशों के एक साल बाद भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं। इससे कमेटी काम नहीं कर पा रही है। हरियाणा के स्कूली शिक्षा विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेटरी के इस रवैये पर शुक्रवार को पंजाब एंड हाईकोर्ट ने कहा कि बार-बार माफी मांग लेने से काम नहीं चलेगा।
रवैया यही रहा, तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अरुण पल्ली की बेंच ने प्रिंसीपल सेक्रेटरी को अवमानना मामले में राहत देने से भी मना कर दिया। मामले में अगली सुनवाई 16 मई को होगी। कोर्ट ने सरकार से कमेटी को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने पर फिर जवाब मांगा है। फीस रेगुलेशन कमेटी की चेयरपर्सन जस्टिस (रिटायर) किरण आनंद लाल ने हाईकोर्ट को पत्र लिख कर कहा था कि उन्हें काम करने के लिए मूलभूत सुविधाएं अब तक मुहैया नहीं कराई गई हैं। इस पर चीफ जस्टिस की बेंच ने स्कूली शिक्षा विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाए।
पिछले साल बनी थी कमेटी
हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल 2013 को निजी स्कूलों के फीस बढ़ाने पर रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी गठन का निर्देश दिया था। कमेटी को स्कूलों के फीस बढ़ाने के कारणों की स्टडी करने को कहा गया था। इसमें स्कूलों के अकाउंट्स रिकॉर्ड की पड़ताल, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाओं, शिक्षकों को दिए जा रहा वेतन-भत्तों व भविष्य में सुविधाओं के विस्तार पर भी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था। कमेटी को किसी भी स्कूल में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर अंकुश व इसकी वापसी का अधिकार है। मामला एंटी करप्शन एंड क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल व ऑल इंडिया क्राइम प्रिवेंटिंग सोसायटी के साथ मलेरकोटला के 10 स्कूली छात्रों की याचिका से जुड़ा है। db
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