मुलाना : शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा जारी किए गए 5 से 14 अप्रैल तक फसली अवकाश की घोषणा जहां लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, वहीं इन छुट्टियों को लेकर शिक्षकों में भी रोष पनप रहा है। कारण यह है कि न तो अभी सही प्रकार से फसल कटाई का समय आया है और न ही शिक्षा विभाग के मासिक कैलेंडर में इन छुट्टियों को कोई जिक्र है।
लोगों को कहना है कि शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है और यही कारण है कि लोगों को रुझान सरकारी स्कूलों से हटकर प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ता जा रहा है। बता दें कि शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 31 मार्च को 5 से 14 अपै्रल तक विद्यालयों में फसली अवकाश की घोषणा संबंधी पत्र जारी किया गया है। इस पत्र में इन अवकाशों को फसली अवकाश की संज्ञा दी गई है जबकि मासिक कैलेंडर में इनका कहीं कोई जिक्र नहीं है। बच्चों के अभिभावक प्रवीन कुमार व अनिल शर्मा का कहना है कि इन्हीं कारणों मेंं लोग सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने से कतराते हैं।
23 व 29 मार्च को मनाया था प्रवेश उत्सव :
शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने 31 मार्च के स्थान पर क्रमश: 23 और 29 मार्च को बच्चों की वार्षिक परीक्षा परिणामों की घोषणा का फरमान जारी कर दिया। इससे शिक्षकों को स्कूल प्रशासन संबंधी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि जिन कक्षाआें के परीक्षा परिणाम 23 मार्च को घोषित किए गए उनके शैक्षणिक कार्यदिवस और कुल घंटे उन कक्षाआें से भिन्न हो गए जिनके परीक्षा परिणाम 29 मार्च को घोषित किए गए। पहले सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक सत्र की समाप्ति 31 मार्च को होती थी जिस कारण कुछ कक्षाआें का नया सत्र 23 मार्च से शरू हुआ जबकि कुछ का 29 मार्च से। इससे एक ही विद्यालय में विभिन्न कक्षाआें का शैक्षणिक सत्र शुरू होने की तिथियां अलग-अलग होने से विभागीय प्रपत्र जैसे डाइस में सत्र संबधी जानकारी देने में दुविधा पैदा होगी। किसान रामचंद्र पाल, रमेश चौहान मुलाना आदि ने बताया कि इस बार मौसम की मार और रुक-रुक कर हो रही बरसात के कारण गेहूं की फसल देरी से हैं। उन्होंने बताया कि अगर एक दो बार और बरसात हो गई तो गेहूं की कटाई में और अधिक विलंब हो सकता है।
स्कूलों में छात्र संख्या पर असर पड़ेगा
"बेमौसमी अवकाशों की घोषणा का सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पडेग़ा। इन छुट्टियों में जहां प्राइवेट स्कूल सभी नियमों को धता बताते हुए दाखिले करेंगे। वहीं सरकारी स्कूलों को एक बार फिर प्रतियोगिता में पिछड़ते हुए पूरे वर्ष छात्रों की कमी से जूझना पडेग़ा। एक आेर तो शिक्षा विभाग के आला अधिकारी प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों की प्रतियोगिता की बात करते हैं। वहीं दूसरी आेर इस प्रकार की बेमौसमी छुट्टियों की घोषणा करके शिक्षकों का मनोबल तोडऩे का कार्य करते हैं। अभी तो स्कूलों में दाखिले चल रहे हैं। इसके चलते शिक्षक कक्षाआें में जाकर शिक्षण कार्य भी नहीं करा पाएंगे।"--राजेश वर्मा, पूर्व जिला महासचिव, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ-949।
"यह तो उपर का आदेश है। इससे सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या को कोई फर्क नहीं आएगा।"--धर्मवीर कादियान, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी अम्बाला। db
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