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Saturday, 12 April 2014

आरटीई : मिशन-एडमिशन से कोसों दूर हैं गुरुजी


प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू अवश्य किया, लेकिन धरातल पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है। इन दिनों मिशन-एडमिशन जोरों पर है, लेकिन गुरु जी इससे कोसों दूर हैं। कारण कुछ और नहीं बल्कि विभाग द्वारा घोषित फसली अवकाश बताया जा रहा है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि इन दिनों सरकारी स्कूलों में अवकाश से दाखिला प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित होगी। क्योंकि निजी स्कूलों द्वारा इन दिनों अधिक से अधिक बच्चे जुटाने के लिए विशेष अभियान छेड़ा हुआ है। बच्चों व अभिभावकों को तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं। निजी स्कूलों का यह प्रयास कहीं न कहीं सरकारी स्कूलों में दाखिलों को प्रभावित अवश्य करेगा। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापक भी काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं।
दूसरे और भी कई कारण हैं ऐसे बताए जा रहे हैं जो सार्थक परिणामों की राह में रोड़ा बन रहे हैं। अध्यापकों का कहना है कि विभाग के आदेशानुसार किसी भी बच्चे को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जा सकता। उनको निशुल्क अनिवार्य शिक्षा देनी ही होगी। बच्चा यदि पहली कक्षा पास किए बगैर पांचवीं में दाखिला लेना चाहता है तो देना गुरु जी मजबूरी है। बेशक वह पढ़ाई में कमजोर भी क्यों न हो। ऐसे में गुणवत्ता परख शिक्षा की उम्मीद कितनी की जा सकती है, इसका अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है। हालांकि अधिनियम के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को वर्दियां, स्टेशनरी व पाठ्य पुस्तकें निशुल्क दी जाती हैं, बावजूद इसके उम्मीद के मुताबिक स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है।
"छुट्टियों से दाखिला प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकारी स्कूलों में निश्चित रूप से बच्चों की संख्या बढ़ेगी। इस दिशा में विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। चुनावी ड्यूटियां होने के कारण छुट्टियां करना मजबूरी है।"--आनंद चौधरी, डीईईओ, यमुनानगर। 
शिक्षा छोड़ भीख मांग रहे बच्चे 
सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून पास करके हर बच्चे के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। बावजूद इसके क्षेत्र में ऐसे बच्चे हैं, जो शिक्षा से महरूम हैं। ऐसे बच्चों के माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय बच्चों से भीख मंगवाने व छोटी मोटी नौकरी पर रखकर उन्हें शिक्षा से वंचित रखने का काम कर रहे है। ऐसे में सरकार द्वारा बच्चों के लिए बनाया गया शिक्षा का अधिकार कानून केवल मजाक बनकर रह गया है। समाज के लोगों में भारी रोष है। 
रादौर निवासी राजकुमार शर्मा, हरी सिंह, देशराज सैनी, सीता राम सैनी व दिनेश ने बताया कि कस्बे में बहुत से बच्चे पढ़ने की बजाय दिनभर देवी देवताओं के चित्र लेकर भीख मांगने निकल जाते हैं। कुछ बच्चे दिनभर गलियों में कचरा उठाते देखे जा सकते हैं। मासूम बच्चे पढ़ने की उम्र में भीख मांग रहे हैं। ऐसे बच्चों के माता पिता सुबह होते ही बच्चों के हाथ में कटोरा पकड़ा कर उन्हें भीख मांगने के लिए घर से चलता कर देते हंै। मासूम बच्चे दिनभर कस्बे में दुकानों पर, गलियों में व सड़कों पर वाहन चालकों से भीख मांगते देखे जा सकते हैं। रादौर में इस समय 40 से 50 बच्चे हर रोज अलग अलग स्थानों पर भीख मांगते देखे जा सकते हैं। इस बारे खंड शिक्षा अधिकारी रामेश्वर सैनी ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत हर बच्चे के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। शिक्षा बच्चे का अधिकार है। बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन जुर्म है। यदि ऐसी कोई शिकायत उन्हें मिली तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।                                                  djymnr

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