अब सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक के स्टूडेंट्स का आईक्यू टेस्ट होगा। इससे उनका बौद्धिक ज्ञान तो बढ़ेगा ही साथ ही अध्यापक को उसकी क्षमताओं का भी ज्ञान होगा।
इसे शिक्षा विभाग का बच्चों के बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास कहें या फिर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इतना जरूर है कि अब सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को आईक्यू टेस्ट देना होगा। जानकारी के मुताबिक आरटीई लागू होने के बाद पहली से आठवीं तक के बच्चों का कोई टेस्ट नहीं होता है। स्कूल नहीं आने पर बच्चे से फाइन भी नहीं लिया जाता। इसकी वजह से शिक्षा के स्तर पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पिछले सेशन में शिक्षा निदेशालय ने अचानक तीसरी और पांचवीं क्लास के बच्चों का आईक्यू चेक करने का फरमान जारी किया था। इसका प्राइमरी अध्यापकों ने विरोध भी किया। उनकी मांग थी कि कम से कम पहले से यह जानकारी दी जानी चाहिए थी कि बच्चों के टेस्ट लिए जाएंगे। अब शिक्षा निदेशालय ने हर क्लास के लिए इसी तरह के टेस्ट तैयार कर लिए हैं। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि हर कक्षा के बच्चे को कितना ज्ञान होना चाहिए यह वे जांचेंगे।
बच्चों के बौद्धिक स्तर का चलेगा पता
जिला शिक्षा अधिकारी संतोष तंवर का कहना है कि बीते बुधवार को एजुकेशन डिपार्टमेंट की फाइनेंस कमिश्नर सुरीना राजन ने मीटिंग ली थी। उन्होंने बताया कि आरटीई के तहत एग्जाम नहीं लिए जा सकते लेकिन बच्चों का असेसमेंट तो किया जा सकता है। इस असेसमेंट से बच्चों के बौद्धिक स्तर का पता चलेगा और शिक्षक भी बच्चों पर उसी हिसाब से मेहनत कर पाएंगे। dbnrnl
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