चंडीगढ़ : प्रदेश का शिक्षा विभाग रेशनेलाइजेशन को लेकर एक बार फिर विवादों में घिर गया है। विभाग ने पुराने नियमों में संशोधन किए बिना ही दोबारा रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने इसकी जानकारी मिलते ही विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शिक्षक संगठन रेशनेलाइजेशन के वर्तमान नियमों को शिक्षा का अधिकार कानून, प्रमुख शिक्षा आयोग की सिफारिशों व बाल मनोविज्ञान नियमों का सरासर उल्लंघन बताया है।
शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष भी वर्तमान नियमों से रेशनलाइजेशन शुरू की थी, लेकिन शिक्षकों व उनके संगठनों के चौतरफा विरोध के कारण कदम पीछे खींचने पड़े थे। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ केज् राज्य अध्यक्ष वजीर सिंह, महासचिव सीएन भारती व वरिष्ठ उप प्रधान गजे सिंह ने कहा कि शिक्षक रेशनेलाइजेशन के विरोधी नहीं है, मगर नियम अव्यवहारिक होने के कारण उन्हें आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा अधिकार कानून व अन्य सिफारिशों की अनुपालना में अध्यापक संघ की मांग है कि प्राथमिक विभाग में प्रत्येक विद्यालय में कम से कम दो अध्यापक हों, प्राथमिक विद्यालय में प्रत्येक कक्षा व सेक्शन के लिए अलग अध्यापक हो, सभी स्कूलों में मुख्य शिक्षक का पद स्वीकृत किया जाए। इसके अलावा अधिकतम 30 बच्चों पर एक अध्यापक हो व जिस विद्यालय की छात्र संख्या 150 से अधिक है, उसका मुख्य शिक्षक शैक्षणिक कार्यभार से मुक्त रखा जाए। dj
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